दुनियाभर में अब तक पांच करोड़ 59 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 13 लाख 43 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। शुरुआत से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक यह चेतावनी देते आए हैं कि इस खतरनाक वायरस से संभल कर रहने की जरूरत है, नहीं तो यह जान भी ले सकता है।

चूंकि इस महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने का काम तो तेजी से चल रहा है, लेकिन इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रियेसिस ने एक ऐसी चेतावनी दी है कि लोगों की उम्मीदों को झटका लग सकता है। उन्होंने कहा है कि वैक्सीन सिर्फ अपने दम पर महामारी को नहीं रोक पाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेड्रोस अधानोम ने कहा कि शुरुआत में सिर्फ उन्हीं लोगों को वैक्सीन मिलेगी जो हेल्थ वर्कर्स हैं, बुजुर्ग हैं या जो हाई रिस्क कैटेगरी (उच्च जोखिम की श्रेणी) में आते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इसके बाद हो सकता है कि कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आए।
टेड्रोस अधानोम ने चेतावनी देते हुए कहा कि वैक्सीन आने के बाद भी कोरोना वायरस फैलता रहेगा, इसलिए लोगों को लगातार टेस्ट कराते रहना पड़ेगा, मास्क पहनना पड़ेगा और नियमित तौर पर हाथ साबुन पानी से धोते रहना पड़ेगा। इसके अलावा सामाजिक दूरी को भी ध्यान में रखना पड़ेगा।
इससे पहले पिछले महीने ही ब्रिटेन की सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वॉलेस ने एक डराने वाली चेतावनी दी थी। उनका कहना था कि ऐसी वैक्सीन मिलने की संभावना बहुत ही कम है, जो कोरोना के संक्रमण को पूरी तरह रोक सके। उन्होंने कहा था कि हो सकता है कि सामान्य फ्लू की तरह ही हर साल इसके संक्रमण के मामले सामने आते रहेंगे।
हालांकि कोरोना की वैक्सीन बना रही अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने ट्रायल के शुरुआती नतीजों के आधार पर हाल ही में यह दावा किया है कि उसकी वैक्सीन 95 फीसदी तक कामयाब है। कंपनी के प्रेसीडेंट डॉ. स्टीफन होग का कहना है कि वैक्सीन इतनी कामयाब होगी, ये किसी ने नहीं सोचा होगा। ये एक हैरान करने वाला नतीजा है।
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