सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार हर साल कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से आर्थिक व व्यवसायिक क्षेत्र में व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस खास अवसर लोग भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही मिठाई और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाकर गरीब लोगों में दान करते हैं। पूजा के दौरान कथा का पाठ करना बिल्कुल भी न भूलें। कथा (Vishwakarma Jayanti 2024 Katha) का पाठ करने से साधक को व्यवसायिक क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होती है। आइए इस लेख में पढ़ते हैं विश्वकर्मा जयंती की कथा।
विश्वकर्मा पूजा कथा (Vishwakarma Puja Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु प्रकट का अवतरण हुआ। श्रीहरि की नाभि से कमल निकला था। इस कमल से ब्रह्मा जी चार प्रकट हुए थे। ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तुदेव थे। वास्तुदेव, धर्म की वस्तु नामक स्त्री से जन्मे सातवें पुत्र थे। इनकी पत्नी का नाम अंगिरसी था। अंगिरसी ने पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम ऋषि विश्वकर्मा था। ऋषि विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य बनें। उनके पिता को वास्तुकला का ज्ञान था। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, इंद्र का व्रज और सोने की लंका का निर्माण किया था।
कब है विश्वकर्मा पूजा
पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर सूर्य देव शाम को 07 बजकर 53 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में 16 और 17 सितंबर (Vishwakarma Jayanti 2024 Date), दोनों दिन ही विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जाएगा। परिवर्तन के समय को ही कन्या संक्रांति कहा जाता है।
पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप
स्तुति मंत्र:
नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा।
शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।।
पूजा मंत्र:
ॐ आधार शक्तपे नमः,
ॐ कूमयि नमः,
ॐ अनंतम नमः,
ॐ पृथिव्यै नमः,
ॐ विश्वकर्मणे नमः।।