सरकारी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के वेबिनार, आनलाइन सेमिनार और भारत की सुरक्षा से संबंधित विषयों पर कार्यक्रमों में विदेशी विद्वानों को बुलाने से पहले विदेश मंत्रालय की मंजूरी लेनी पड़ेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 15 जनवरी को इस बाबत नोटिस जारी किया है। ऐसा देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। हालांकि इस निर्देश को लेकर शिक्षकों में रोष है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) शिक्षक संघ सचिव व सेंटर फार इंटरनेशनल पालिटिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर मौसमी बसु कहतीं हैं कि पहले भी चीन और पाकिस्तान के विद्वानों को बुलाने से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन, यदि अब सभी के लिए अनुमति लेनी होगी तो ऐसे तो शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। आंतरिक मामले क्या हैं, यह नोटिस से स्पष्ट ही नहीं है।
उन्होने आगे कहा कि जहां तक अंतरराष्ट्रीय संबंधों की बात है तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा से परे एक पाठ्यक्रम है, जहां हम कृषि से लेकर शरणार्थियों तक पर बात करते हैं। बकौल मौसमी बसु वर्तमान नोटिस समेत जेएनयू से जुड़े विभिन्न मसलों के संबंध में हम केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सचिव से मुलाकात का समय मांग रहे हैं। विगत एक महीने में पांच बार पत्र भेजा, लेकिन अब तक मिलने का समय नहीं दिया गया। हालांकि जेएनयू में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं कि आदेश में नया कुछ नहीं है। पहले भी कार्यक्रमों में विदेशी विद्वानों की भागीदारी के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी। अब इसमें वेबिनार को भी शामिल कर लिया गया है।
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