क्या आपने कभी सोचा है कि कोई जीव विलुप्त होने के बाद फिर जिंदा हो जाए। सामान्यत: ऐसी कल्पना करना मुश्किल जान पड़ती है, लेकिन यह सच है कि विलुप्त होने के बाद भी कई जीव पृथ्वी पर पुन: लौट आए हैं। विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को ‘पुरावृत्त विकास’ या इंट्रेटिव इवोल्यूशन कहा जाता है। एक शोध में हिंद महासागर के आस-पास रहने वाले ऐसे जीवों की पहचान की गई है। इनमें रेल नामक पक्षी और एल्डेब्रा नामक कछुआ इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। रेल एक ऐसा ही पक्षी है जो उड़ नहीं सकता। वैज्ञानिकों ने इन जीवों के दोबारा पृथ्वी पर लौटने के प्रक्रिया को दुर्लभ करार दिया है।ब्रिटेन के पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय और नेचर हिस्ट्री म्यूजियम के शोधकर्ताओं के अनुसार, जीवों की विलुप्ति और पुनर्जीवन की प्रक्रिया दसियों लाख साल में एक-दो बार ही देखी जाती है। एक दौर में ‘रेल’ और ‘एल्डेब्रा’ पृथ्वी से पूरी तरह से विलुप्त हो गए थे, लेकिन अब यह फिर से दिखाई देने लगे हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि शुरुआती दौर में ‘रेल’ पक्षी उड़ पाता था। इनके पंखों की शक्ति क्षीण होने की प्रक्रिया में कई हजार साल लगे होंगे। लेनियन सोसाइटी के ‘जूलॉजिकल जर्नल’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक, ‘रेल’ की बची हुई कॉलोनी दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर के एक आइलैंड (मेडागास्कर)में पाई गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 40 लाख साल पहले जब इनकी तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई होगी तो उसके बाद इन पक्षियों ने पलायन का रास्ता अख्तियार किया होगा। इनकी विलुप्ति का एक कारण यह भी है कि कई पक्षी ऐसे होंगे जो मेडागास्कर के उत्तर या दक्षिण की ओर जाने पर लंबे समुद्री मार्ग में डूब गए होंगे और जो अफ्रीका के पश्चिमी क्षेत्रों में गए होंगे उन्हें शिकारियों ने खा लिया। लेकिन जो पूर्व की ओर एटोल आइलैंड पहुंचे होंगे, उनका जीवन अन्य की अपेक्षा सरल रहा होगा। शिकारियों के न होने पर यहां इनकी आबादी खूब बढ़ी होगी। धीरे-धीरे इसका विकास मॉरीशस के डोडो की तरह हुआ होगा और बाद में यह पक्षी रेल के रूप में रूपांतरित हुए होंगे।
समुद्र में हो गए थे दफन- आज से लगभग 136,000 साल पहले एक बड़ी बाढ़ की घटना के दौरान ‘रेल’ और ‘एल्डेब्रा’ जैसे जीव और कई वनस्पतियां समुद्र में दफन हो गई होंगी। शोधार्थियों को एटोल आइलैंड के आसपास एक लाख साल पुराने मिले जीवाश्म वैज्ञानिकों के इस कथन को सिद्ध भी करते हैं। शोधार्थियों ने इन जीवाश्मों के अध्ययन में यह पाया है कि यह किसी दौर में ‘रेल’ प्रजाति के पक्षी रहे होंगे। इसके सबूत के तौर पर उनके पास इन पक्षियों के पंखों और घुटनों की हड्डियां भी हैं, जो यह सिद्ध करती हैं कि ये पक्षी उड़ नहीं पाते थे। नेचर हिस्ट्री म्यूजियम की जुलियन ने कहा कि ये विशेष जीवाश्म यह बताते हैं कि किसी दौर मेडागास्कर के आस-पास रेलों की कॉलोनियां रही होंगी, जो बाद में किन्हीं कारणों से विलुप्त हो गई होंगी। जुलियन कहती हैं कि कारण कुछ भी रहा हो पर, इस जीवों का दोबारा दिखना एक अच्छा संकेत है। हमें पुरावृत्त विकास की प्रक्रिया का शुक्रगुजार होना चाहिए।