राजस्थान के सियासी संकट में अब राज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री के बीच जंग छिड़ती नजर आ रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से कहा गया है कि उन्होंने विधानसभा सत्र बुलाने की अपील की है, लेकिन राज्यपाल की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है. लेकिन अब खबर है कि राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से अभी कोरोना संकट का हवाला दिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि अभी भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस के विधायक कोरोना वायरस से पीड़ित हैं. ऐसे में विधानसभा का सत्र बुलाना ठीक नहीं होगा. यानी अशोक गहलोत गुट को पहले हाईकोर्ट से झटका लगा और अब राजभवन से भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है.
ऐसी स्थिति में अशोक गहलोत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जा सकता है. जिसमें तत्काल विधानसभा का सत्र बुलाने और बहुमत साबित करने की बात की जा सकती है. हालांकि, अभी राज्यपाल की ओर से विधानसभा सत्र की ओर से कोई अंतिम निर्णय आना भी बाकी है.
साफ है कि अशोक गहलोत के सामने अब लगातार चुनौतियां आ रही हैं. क्योंकि एक तरफ विधायकों की मांग है कि वो जल्द बहुमत साबित करें और होटल से बाहर निकलें. इसके अलावा पायलट गुट को दिए गए नोटिस पर भी स्टे लग गया है, ऐसे में अदालत की कार्यवाही लंबा वक्त ले सकती है.
अशोक गहलोत का कहना है कि उन्होंने राज्यपाल से कहा है कि अगर वो सत्र नहीं बुलाते हैं तो वह सभी विधायकों को लेकर उनके पास आ रहे हैं और सत्र बुलाने की अपील करेंगे. हालांकि, इसपर भी अभी राज्यपाल की ओर से इजाजत नहीं मिली है.
शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि राज्यपाल पर केंद्र की ओर से दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन उन्होंने संविधान की शपथ ली है और ऐसे में उन्हें किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए. सीएम ने कहा कि अगर राज्य की जनता आक्रोशित होकर राजभवन का घेराव कर लेती है, तो फिर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.
बता दें कि अशोक गहलोत का दावा है कि उनके पास पूर्ण बहुमत है, ऐसे में सत्र बुलाकर राज्य के संकट के साथ साथ इस संकट पर भी चर्चा हो जाएगी और सबकुछ जनता के सामने आ जाएगा.
इससे पहले हाईकोर्ट की ओर से गहलोत गुट को झटका लगा था. क्योंकि हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के उस नोटिस पर स्टे लगा दिया है, जिसमें सचिन पायलट गुट को अयोग्य करार करने की बात थी. स्टे के मुताबिक, अब अगले फैसले तक स्पीकर बागी विधायकों पर कोई फैसला नहीं ले पाएंगे.