विद्रोह के बाद बांग्लादेश का पहला चुनाव

बांग्लादेश फरवरी में आम चुनाव कराएगा। यह 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन से शेख हसीना के हटने के बाद इस दक्षिण एशियाई देश का पहला चुनाव होगा। हसीना की पार्टी अवामी लीग देश की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन इसे चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। अब 17.3 करोड़ की आबादी वाला यह मुस्लिम-बहुल देश पूरी तरह बदले हुए राजनीतिक माहौल में मतदान करने जा रहा है। चुनाव में जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की मांग है। भारत से रिश्ते भी इस चुनाव में अहम मुद्दा है।


जमात-ए-इस्लामी का दोबारा बढ़ता प्रभाव
हसीना सरकार में प्रतिबंधित इस्लामवादी पार्टी जमात-ए-इस्लामी छात्रों के विद्रोह के बाद फिर सक्रिय हो गई है। इसके चुनावों में दूसरे स्थान पर रहने की उम्मीद है। शफीकुर रहमान के नेतृत्व में जमात शरीयत आधारित शासन इस्लामी शासन की वकालत करती है, लेकिन यह अब अपने रूढ़िवादी वोटर आधार से परे अपना समर्थन बढ़ाना चाहती है। यह पार्टी माफिया-मुक्त समाज और सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कदमों का वादा करती है। यह 2001-2006 के बीच बीएनपी के साथ सत्ता में रह चुकी है।

बीएनपी सबसे प्रभावी राजनीतिक दल
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) इस चुनावी माहौल में सबसे आगे है। यह दल पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी चुनाव की प्रबल दावेदार मानी जा रही है। अमेरिकी इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के दिसंबर सर्वे ने अनुमान लगाया कि बीएनपी सबसे ज्यादा सीटें जीत सकती है। 1978 में जिया के दिवंगत पति और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की बनाई बीएनपी, बांग्लादेशी राष्ट्रवाद, आर्थिक उदारीकरण और भ्रष्टाचार-विरोधी सुधारों का समर्थन करती है। खालिदा जिया की खराब सेहत और उनके बेटे व कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान की गैरमौजूदगी इस पार्टी की चुनौतियां हैं। रहमान निर्वासन में लंदन में हैं।

नेशनल सिटिजन पार्टी
विद्रोह के बाद छात्र आंदोलन के नेताओं नेशनल सिटिजन पार्टी(एनसीपी) बनाई नई पार्टी है। संगठन की कमजोरी और कम फंड के कारण जनसमर्थन को वोट में बदलने में संघर्ष कर रही है। सर्वेक्षण इसे बीएनपी और जमात से काफी पीछे दिखाते हैं। 27 साल के नाहिद इस्लाम के नेतृत्व में पार्टी 24-सूत्रीय एजेंडा पेश करती है, जिसमें नया संविधान, न्यायिक सुधार, स्वतंत्र मीडिया, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और जलवायु लचीलापन शामिल हैं।

लोकतंत्र की बहाली की उम्मीद में आम बांग्लादेशी
आम बांग्लादेशी घातक विरोध प्रदर्शनों के बाद बेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार की अगुवाई में लोकतांत्रिक शासन बहाली की उम्मीद कर रहे हैं।

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