विक्रमशिला एक्सप्रेस को हैप्पी बर्थडे कहने के लिए शहरवासी बेताब हैं। सात मार्च को शुभ घड़ी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लोगों की उत्सुकता इसलिए भी है कि इस महत्वपूर्ण ट्रेन से कई की यादें जुड़ी हैं। सात मार्च को विक्रमशिला 43 वर्ष पूरा कर लेगा। रेलवे ने भी इसे सेलिब्रेट करने की तैयारी शुरू कर दी है।
दरअसल, विक्रमशिला एक्सप्रेस का परिचालन सात 1977 में शुरू हुआ था। तब से आजतक 42 सालों से यात्रियों को अपने कोच में बिठाकर चल रही है। भागलपुर से देश की राजधानी को जोडऩे वाली इस ट्रेन का इतिहास काफी पुराना है।
खास मौके पर मंडल से पहुंचेंगे एडीआरएम
इस दिन को और यादगार बनाने के लिए मालदा रेल मंडल के एडीआरएम एसके भगत पहुंचेंगे। जंक्शन पर सुबह में केक काटा जाएगा। ट्रेन लेकर जाने वाले लोको पायलट, गार्ड और रेल कर्मी इस पल का गवाह बनेंगे।
1980 में पहली बार विक्रमशिला से पटना गए थे
परिचालन के करीब 10 महीने बाद शहर के बड़े व्यवसायी कुंज बिहारी झुनझुनवाला विक्रमशिला एक्सप्रेस से पटना गए थे। लायंस क्लब की मीटिंग में उन्हें शामिल होना था। उस वक्त भागलपुर से एक यही मात्र ट्रेन थी। इसके बाद दिल्ली और पटना जाने के लिए इसी ट्रेन का इस्तेमाल करने लगे।
1983 में सफर करने का मिला मौका
नागरिक विकास समिति के वर्तमान प्रधान सलाहकार रमण कर्ण ने कहा कि विक्रमशिला उस वक्त मगध के साथ चलती थी। 1983 में पहली बार इस ट्रेन से परिवार के साथ नई दिल्ली गए थे। उन्होंने बताया कि जब ट्रेन नई दिल्ली पहुंची तो वहां अंग प्रदेश के लोगों के चेहरे पर गजब सा मुस्कान था। ट्रेन के नाम से विक्रमशिला विवि का स्मरण होता है। डीआरएम बधाई के पात्र हैं।
विक्रमशिला एक्सप्रेस से पारिवारिक रिश्ता
आज भले ही राजधानी, तेजस, हमसफर और वंदे मातरम् जैसी ट्रेनें चल रही है। पर, अपना विक्रमशिला एक्सप्रेस की बात ही कुछ और है। सिल्क के बड़े व्यवसायी सह नागरिक विकास समिति के अध्यक्ष जियाउर रहमान बताते हैं कि 1985 में विक्रमशिला एक्सप्रेस से पहली बार व्यापार के सिलसिले में दिल्ली गए थे, तब से लेकर अभी तक इसी ट्रेन से नई दिल्ली जाते हैं।