उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने वकीलों की विभिन्न मांगों पर प्रदेश सरकार द्वारा ध्यान न दिए जाने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को पूरे प्रदेश में न्यायिक कामकाज से विरत रहने की घोषणा की है। बार काउंसिल ने वकीलों से यह भी आह्वान किया है कि सरकार को ज्ञापन सौंपकर सभी बार एसोसिएशन अपना विरोध दर्ज कराएं।
बार काउंसिल के निर्णय को मानते हुए हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच की अवध बॉर एसोसिएशन व अधीनस्थ अदालतों के भी वकीलों ने अदालती कामकाज का बहिष्कार करने की घोषणा की है। बार काउंसिल के चेयरमैन हरि शंकर सिंह की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि प्रदेश में पिछले दिनों में कई अधिवक्ताओं की हत्याएं हुई हैं, लेकिन कई मामलों में अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। बार काउंसिल ने सरकार से मांग की है कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लाया जाए। यह भी मांग की गई है कि पुलिस के रवैये को देखते हुए पुलिस अधिकारियों व अन्य पुलिसकर्मियों को किसी भी न्यायालय परिसर में असलहे लेकर प्रवेश करने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
बार काउंसिल ने यह भी मांग की है कि यूपी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति से मृतक अधिवक्ताओं के वर्षों से लंबित दावों का निस्तारण कराना सुनिश्चित किया जाए। काउंसिल का कहना है कि सरकार ने नए अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन भत्ता दिए जाने की घोषणा की थी जो अब तक नहीं दिया जा रहा है। कहा है कि अपने वायदे पर अमल करते हुए सरकार नए अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन भत्ता देना आरंभ करे।
बार काउंसिल ने अधिवक्ता भविष्य निधि की राशि सवा लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की भी मांग की है। बार काउंसिल ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पुलिस फायरिंग में घायल वकीलों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा दिलाए जाने की भी मांग की है। बार काउंसिल के उपाध्यक्ष और भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रशांत सिंह अटल ने भी वकीलों से विरोध दिवस मनाने की अपील की है ।