लॉकडाउन के कारण रियल एस्टेट सेक्टर को भी तगड़ी चोट पहुंची है। आगरा में बिल्डरों के करीब 1200 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। इस गहराते संकट से उबारने को बिल्डर्स ने सरकार से पैकेज घोषित करने की मांग की है।
कारोबारियों के अनुसार रियल एस्टेट सेक्टर पहले से ही मंदी से जूझ रहा था। निवेशकों ने दिलचस्पी दिखानी छोड़ दी थी। कुछ खरीदार जरूर मैदान में थे। उस पर लॉकडाउन ने कारोबार और डाउन कर दिया।
आगरा में अपार्टमेंट्स, रो हाउसिंग, डुप्लेक्स, जी प्लस 2, सिंगल स्टोरी, व्यावसायिक भवन, ग्रुप हाउसिंग जैसे 100 प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए हैं। बिल्डर्स का कहना है कि लॉकडाउन खुल भी जाता है, तो भी संकट नहीं टलने वाला।
अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कम से कम एक साल तक लग जाएगा। उसके बाद खरीदार आगे आ सकते हैं। क्योंकि प्रापर्टी की खरीद प्राथमिकता में नहीं होगी।
आगरा सिटी रेडिको के अध्यक्ष केसी जैन के अनुसार औसतन 1200 करोड़ रुपये के छोटे-बड़े करीब 100 प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए हैं। जो बहुत बड़ा आंकड़ा है। पहले से सेक्टर मंदी से जूझ रहा था।
क्रेडाई आगरा के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि काम शुरू करने को सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का प्रशासन द्वारा अनुपालन नहीं हो पा रहा है। हम तो हर तरह से सहयोग को तैयार हैं। काम शुरू होना जरूरी है।
फिलहाल बाजार से आस नहीं
क्रेडाई आगरा के पूर्व अध्यक्ष इंजीनियर उमेश शर्मा का कहना है कि जो हालात दिख रहे हैं, उससे हाल फिलहाल मार्केट उठने से रहा। ये वित्तीय वर्ष पूरा ही चला गया। कारण हमारा सेक्टर दूसरों के कारोबार पर निर्भर है। इस समय सभी व्यवसाय चौपट हैं।
ओपी चेन हाउसिंग के शोभिक गोयल ने कहा कि सरकार ने विभिन्न ऋण के तहत भले किस्तें फिलहाल न देने की बात की है, लेकिन ब्याज पर तो कोई राहत ही नहीं दी। वो तो हमें अदा ही करनी पड़ेगी। ऐसे में हमारी परेशानी कम कहां हुई।
गनपति इंफ्रास्ट्रक्टर के निखिल अग्रवाल ने कहा कि परियोजनाएं अटक गई हैं। प्रशासन अगर हमें अनुमति दे, तो प्रोटोकॉल के साथ काम शुरू कर सकते हैं। कुछ साइट पर मजदूर हैं। इससे एकदम से ठप पड़ा काम कुछ हद तक आरंभ हो सकेगा।