लुधियाना नगर निगम की तरफ से 2009 में 65 करोड़ बीस लाख रुपये में 120 सिटी बसें खरीदी गई थी। बसों के संचालन के लिए जिस कंपनी को कांट्रेक्ट दिया गया था, उसे हर महीने तीन लाख रुपये निगम को अदा करने थे। वहीं डीजल के दाम बढ़ने पर एक सप्ताह के भीतर निगम को यात्री किराए की दरें भी बढ़ानी थीं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। घाटा होने पर कंपनी हाईकोर्ट पहुंच गई थी।
डीजल के रेट और बकाया भुगतान के मामले में हाईकोर्ट ने लुधियाना नगर निगम को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि नगर निगम सिटी बस कंपनी का संचालन करने वाली कंपनी को पांच करोड़ रुपये अदा करे।
2009 में निगम की ओर से 65 करोड़ बीस लाख रुपये खर्च कर शहर में 120 सिटी बसें खरीदी गई थी। शहर में बसों के संचालन के लिए कंपनी को कांट्रेक्ट दिया गया था। शर्तों के अनुसार कंपनी को हर महीने बसों का किराया तीन लाख रुपये निगम को अदा करना था, जबकि डीजल के दाम बढ़ने पर एक सप्ताह के भीतर निगम को यात्री किराए की दरें भी बढ़ानी थीं।
2015 में डीजल के रेट बढ़ गए, लेकिन किराया नहीं बढ़ाया गया। इससे कंपनी को घाटा उठाना पड़ा था। कंपनी ने 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका में कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि सिटी बसों का संचालन घाटे का सौदा हो रहा है। कम किराया होने के कारण खर्चे तक नहीं निकाल पा रही कंपनी को काफी घाटा पड़ा है।
कंपनी ने मांग रखी कि उन्हें 2016 से 2022 तक पांच करोड़़ रुपये नगर निगम से दिलाए जाएं। इसके बाद 29 फरवरी को हाईकोर्ट ने कंपनी के हक में फैसला सुना दिया। हाईकोर्ट ने नगर निगम को आदेश किया कि वह कंपनी को पांच करोड़ रुपये अदा करे। इसके अलावा कोविड अवधि में सिटी बसों का प्रयोग, एनआरआई को लाने और छोड़ने के लिए किया गया था।
फैसले को चुनौती देंगे: निगम कमिश्नर
नगर निगम कमिश्नर संदीप ऋषि ने बताया कि नगर निगम की टीम लगातार इस पर ध्यान लगाए बैठी है। चर्चा के बाद जल्द ही इस फैसले को चुनौती दी जाएगी।