लखनऊ से आने वाले लोगों को शहर में प्रवेश करते ही सुखद अनुभूति होगी। नौसढ़ से कालेसर तक राप्ती नदी के किनारे बांध के सुंदरीकरण के बाद शहर का यह प्रमुख प्रवेश द्वार भव्य नजर आने लगेगा। करीब छह किलोमीटर लंबाई में पर्यटन विभाग की ओर से यह काम कराया जा रहा है। ऐसी तकनीक का प्रयाेग हो रहा है, जिससे बरसात में बांध की मिट्टी कटने की समस्या दूर हो सकेगी। सड़क व बांध के बीच में पैदल चलने वालों के लिए पाथ वे का निर्माण भी किया जाएगा।

दस करोड़ की लागत से हो रहा सुंदरीकरण का कार्य
नौसढ़ से कालेसर के बीच राप्ती नदी के बांध की लंबाई करीब नौ किलोमीटर है। नौसढ़ से एक किलोमीटर आगे तक नगर निगम द्वारा सुंदरीकरण का काम कराया गया है। बीच में करीब दो किलोमीटर लंबाई में बांध सड़क से नजर नहीं आता इसलिए इस हिस्से को सुंदरीकरण में शामिल नहीं किया गया है। शेष छह किलोमीटर हिस्से को करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से सुंदर बनाया जा रहा है। सड़क की ओर बांध पर जियोसेल एवं जियोटेक्सटाइल के प्रयोग से मिट्टी डाली जा रही है और इसे समतल बनाया जा रहा है। इस तकनीक के प्रयोग से बारिश में बांध की मिट्टी नहीं कटेगी।
यह होगा फायदा
सड़क व बांध के बीच एक मीटर चौड़ा पाथ वे बनाया जाएगा। पाथ वे 15 सेंटीमीटर ऊंचा होगा। पैदल चलने वाले लोगों को इससे सुविधा मिलेगी और सड़क किनारे वाहन खड़ा करने की समस्या से भी छुटकारा मिल सकेगा। इस परियोजना का ले आउट तैयार करने वाले आर्किटेक्ट मनीष मिश्र ने बताया कि सड़क व बांध के बीच पाथ वे बनने से सड़क किनारे पानी लगने की समस्या भी समाप्त हो सकेगी। बांध पूरी तरह से समतल नजर आएगा। बीच-बीच में पौधे लगाने की भी योजना है। बांध के ऊपर पांच मीटर चौड़ाई में ईंट लगाई जाएगी। इससे बांध कटान से मुक्त रहेगा।
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