फर्जी निवास प्रमाण पत्रों के जरिये सेना में शामिल होने वाले करीब डेढ़ साल पुराने मामले में सेना ने सभी जालसाजों के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन को पूरा कर लिया। इन जालसाजों को विभिन्न स्तर पर जांच के बाद सजा दी गई। साथ ही उनको बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया। इतना ही नहीं, इस खेल में अब तक सेना की सबसे बड़ी कार्रवाई भी हुई। तीन सैन्य अधिकारी, चार जेसीओ और सात जवान भी जांच की जद में आए। उनकी पोस्टिंग लखनऊ से बाहर की जा चुकी है। ये पहली बार हुआ जब इस बड़े खेल में सीबीआइ ने मामला पंजीकृत कर सेना के सहयोग से जालसाजों को पकड़ा।
दरअसल, फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाकर सेना में युवकों को भर्ती कराने का खेल पिछले कई साल से चल रहा था। सीबीआइ ने जांच के बाद सेना भर्ती मुख्यालय लखनऊ के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ पिछले साल आठ मई को मामला दर्ज किया था। जांच में पता चला कि लखनऊ की सेना भर्ती रैली में शामिल होने के लिए पश्चिमी यूपी के 34 युवकों ने फर्जी तरीके से हमीरपुर के पते से निवास प्रमाण पत्र बनवाए थे। लखनऊ सेना भर्ती कार्यालय में तैनात हवलदार भी इसमें शामिल था। सीबीआइ ने हवलदार और दो दलालों के फोन पर हुई बातचीत को टैप कर पूरा खेल पकड़ा। इसके बाद सीबीआइ ने सेना को फर्जी निवास प्रमाण पत्रों से भर्ती हो गए जवानों की लिस्ट सौंप दी।
ऐसी हुई पूरी कार्रवाई
सेना ने भर्ती मुख्यालय की लिस्ट से आरोपित जवानों की यूनिट का पता लगाया। उनकी यूनिटों के ट्रेनिंग सेंटरों से उनको पकड़ा। इस बीच कुछ जवान ट्रेनिंग पूरी कर सेना में शामिल हो गए थे। इन जवानों को सेना की ओर से वेतन के साथ अन्य सुविधाएं मिल रही थीं। जवानों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित की गई। समरी ऑफ एविडेंस की कार्रवाई के बाद आरोपित जवानों के खिलाफ कोर्ट मार्शल कर सेना ने सभी जालसाजों के खिलाफ अंतिम कार्रवाई भी पूरी कर दी।