केजीएमयू में शोध के नाम पर धांधली हो रही है। रॉयल्टी के अलावा सरकारी ग्रांट हड़पने का खेल चल रहा है। ऐसे में राज्यपाल को पत्र लिखकर शिक्षकों के शोध खातों की सीबीआइ जांच की मांग की गई है।
केजीएमयू के 56 विभागों में 556 शिक्षकों के पद हैं। 114 वर्ष के संस्थान में कई डॉक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं तमाम छोड़कर प्राइवेट व दूसरे संस्थानों में चले गए हैं। इन शिक्षकों ने संस्थान के संसाधन, धन से मरीजों पर शोधकर उपकरणों के आविष्कार व पुस्तकें लिखी हैं। वहीं पेटेंट व कॉपी राइट के अधिकार कंपनियों को खुद बेचकर करोड़ों की रॉयल्टी डकार गए। इसमें संस्थान को फूटी कौड़ी नहीं दी जबकि पीजीआइ में 40 फीसद संस्थान और 60 फीसद डॉक्टर का रॉयल्टी पर अधिकार है। रॉयल्टी का भंडा फूटने के बाद कानपुर निवासी अजय सिंह ने शोध के लिए डॉक्टरों को मिली ग्रांट में धांधली की शिकायत राज्यपाल, कैग, सीबीसीआइडी, ईओडब्ल्यू, सीबीआइ और केजीएमयू प्रशासन से की है। इसमें शिक्षकों के शोध खातों का पूरा लेनदेन व खर्च के ऑडिट की मांग की है।
वर्षभर में 84 करोड़ की फंडिंग :केजीएमयू के शिक्षकों को शोध के लिए आइसीएमआर, डीएसटी, डीबीटी, सीएसआइआर और एनएचएम समेत कई संस्थाओं से चिकित्सकों से धन मिलता है। एक वर्ष में करीब 84 करोड़ रुपये शिक्षकों के शोध खाते में यूनिवर्सिटी के माध्यम से भेजे जाते हैं। आरोप हैं कि शोध के धन का निजी सुविधाओं पर खर्च, परिवारजनों-परिचितों को प्रोजेक्ट में नौकरी देकर मानदेय देने, घर में कार्यालय दिखाकर किराया के तौर पर हड़पा गया है। शिकायत कर्ता ने पिछले दस वर्ष तक की सभी रिसर्च ग्रांट का उपयोग व शिक्षकों के शोध अकाउंट के ट्रांजेक्शन की जांच की मांग की।
पत्र में गंभीर हैं आरोप
- संस्थान के एक वरिष्ठ डॉक्टर पर घर में ऑफिस दिखाकर किराये के नाम पर धन हड़पने का आरोप
- हाल में सेवानिवृत्त हुए डॉक्टर पर रिसर्च फाउंडेशन बनाकर शोध के नाम पर धन को वारे-न्यारे करने का आरोप
- एक चिकित्सक पर मरीजों के फर्जी बिल लगाकर धन डकारने का आरोप
- एक चिकित्सक पर टेंपरिंग कर शोध प्रोजेक्ट में परिचित को नौकरी देने का आरोप समेत आदि।
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि शोध के धन में गड़बड़ी संबंधी आरोप गंभीर हैं। इसमें न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी। शासन की तरफ से कोई आदेश आया तो प्रकरण की जांच कराई जाएगी। अकाउंट का ब्योरा मांगा जाएगा तो वह भी दिया जाएगा।