लखनऊ वासियों को पानी का संकट करीब एक महीने तक झेलना पड़ेगा। जिसमें मुख्य रूप से इंदिरा नगर, गोमती नगर और चिनहट के आसपास में कई इलाके के करीब पांच लाख लोग प्रभावित होंगे। दरअसल, रविवार की सुबह से लखीमपुर खीरी की शारदा सहायक नहर को बंद कर दिया गया है, जिससे कठौता झील (तीसरे जलकल) को पानी मिलना बंद हो गया। नहर पांच जून तक बंद रहेगी और ऐसे में तीसरे जलकल से होने वाली जलापूर्ति का असर पांच लाख की आबादी में दिखाई देगा।
गोमतीनगर, इंदिरानगर और चिनहट से जुड़े इलाकों में पानी का संकट गहरा सकता है। इन इलाकों में झील से 80 एमएलडी (मिलीयन लीटर डेली) पानी की आपूर्ति की जाती है, जबकि 150 नलकूपों की मदद से भी 60 एमएलडी पानी दिया जाता है। जलकल विभाग का दावा है कि उसके पास 22 दिन के हिसाब से पानी उपलब्ध रहेगा। लेकिन हकीकत यह है कि हर बार इस तरह के दावे किए जाते हैं और हकीकत में पानी संकट से लोगों को परेशान होना पड़ता है।
जलकल विभाग ने सुबह-शाम दो-दो घंटे पानी आपूर्ति की कटौती करने की तैयारी की है। अभी सुबह छह से दोपहर दो बजे तक और शाम पांच से रात दस बजे तक पानी की आपूर्ति होती थी, लेकिन अब रोस्टर बनाकर ही यह कटौती की जाएगी।
ये नलकूप तो बेकार हो गए : गोमतीनगर के कई नलकूप रिबोर में चल गए हैं, मतलब की वहां पर भूजल का लेवल नीचे चला गया है और वहां पर गहराई में ही पाइप डालने से पानी मिल पाएगा। इसमें विपुल खंड- चार, विनीत खंड- छह, टंकी परिसर में, विधायकपुरम, विनय खंड एकता पार्क, विशाल खंड तीन हैं।
गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के महासचिव डा. राघवेन्द्र शुक्ल का कहना है कि कठौता झील को पानी मिलना बंद हो जाएगा, एक दर्जन से अधिक नलकूप खराब हैं और क्षमता के हिसाब से पानी नहीं दे पा रहे हैं। वह मानते हैं कि पानी का संकट होना तय है, जैसा कि पिछले सालों में लोगों को पानी संकट से जूझना पड़ा था।
135 किलोमीटर दूर से आता है पानी : कठौता झील में बने तीसरे जलकल में 135 किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी से पानी आता है। सफाई करने और सिंचाई न होने पर नहर को साल में दो बार बंद करना पड़ता है। सिंचाई विभाग का मानना है कि अगर सिंचाई नहीं होती है और नहर से कठौता झील को पानी दिया जाता है तो ओवर फ्लो होने से खेतों में पानी भर जाता है। जिसका विरोध होने लगता है।
नहर से पानी न मिलने का असर गोमतीनगर, इंदिरानगर और चिनहट में दिखने लगता है। तीसरा जलकल बनाते समय पानी की उपलब्धता पर कोई विचार न किए जाने से ही सिंचाई विभाग से पानी लिया जा रहा है, जबकि झील को गोमती नदी से जोड़ने की योजना थी लेकिन वह पूरी नहीं हुई।
शारदा नहर को रविवार सुबह बंद कर दिया गया है। अभी इसका असर कठौता झील पर नहीं दिख रहा है। नहर में अवशेष पानी आता रहता है लेकिन कुछ दिन बाद से असर दिखाई देगा। जलापूर्ति में कटौती करनी पड़ेगी। – बीके श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, जलकल विभाग