रेलवे में देशभर में तीन लाख से अधिक कर्मचारियों को हटाने के निर्णय का असर पूर्व-मध्य रेल (पूमरे) जोन पर भी पडऩे की संभावना है। जोन के पांच हजार से अधिक पुराने पदों को पहले ही समाप्त किया जा चुका है। अब नए सिरे से कर्मचारियों के कार्यों एवं पदों की समीक्षा की जा रही है।
30 सितंबर को ही पूर्व-मध्य रेल मुख्यालय को भी इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से निर्देश भेजा जा चुका है। अधिकांश कार्यों को आउटसोर्सिंग से किया जाएगा। इसलिए हजारों पद खत्म हो सकते हैं।
दस साल पहले जहां इस जोन में 85 हजार से अधिक रेल कर्मचारी कार्यरत थे, वहीं अब इनकी संख्या 73 हजार है। कर्मचारी जिस तेजी से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी जगह नियुक्ति नहीं की जा रही है। आउटसोर्सिंग का बोलबाला है।
पहले जहां अकेले राजेंद्रनगर कोचिंग कांप्लेक्स में 1000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे। प्रतिदिन दर्जनभर ट्रेनों का मेंटेनेंस किया जाता था। अब मेंटेनेंस के लिए कोचिंग कांप्लेक्स के अलावा पटना जंक्शन यार्ड, दानापुर यार्ड, राजगीर कोचिंग कांप्लेक्स, झाझा यार्ड, किउल यार्ड, बक्सर यार्ड समेत कई स्टेशनों का इस्तेमाल होने लगा है।
भले ही अभी राजेंद्रनगर कोचिंग कांप्लेक्स में कर्मचारियों की संख्या हजार है, ट्रेनों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हो गई है। पहले रेल परिचालन अथवा कॉमर्शियल कार्य को आउटसोर्सिंग से बचाकर रखा गया था।
अब स्टेशनों के रिटायङ्क्षरग रूम के मेंटेनेंस का काम भी निजी हाथों को सौंप दिया गया है। टीटीई रेस्ट रूम व क्रू-लॉबी की जिम्मेदारी भी निजी हाथों में है। ओवरहेड वायर के रखरखाव का कार्य भी इसी माध्यम से होने लगेगा।
ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन आउटसोर्सिंग को लेकर गंभीर है। रेलमंत्री पीयूष गोयल से बात की जा रही है। यूनियन को निजीकरण नहीं करने का आश्वासन दिया जा रहा है, पर आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। निजीकरण के विरोध में 22 अक्टूबर को बड़ा आंदोलन किया जाएगा।