पूरी जिंदगी काम करने के बाद आदमी रिटायर होता है। इस समय आदमी शांति के साथ जीना चाहता है। कई लोग लंबी छुट्टी पर जाते हैं, कुछ लोग खेती में जुट जाते हैं, कुछ लोग पढ़ाने में व्यस्त हो जाते हैं। क्या आपने सोंचा है कि रिटायरमेंट के बाद आप क्या करेंगे।आपने जो भी योजना बनाई हो एक चीज निश्चित है आपको इतना पैसा कमाना होगा कि आप अपनी पूरी जिंदगी सुकुन के साथ बिता सकें। रिटायरमेंट के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरूआत जल्दी करना होगी। आपको जैसे ही पहली सैलरी मिलती है आपको रिटायरमेंट की तैयारी करनी होगी।
आप ये सोंचकर न चलें कि आपके पास रिटायरमेंट के लिए बहुत समय है। आज हम आपको नेशनल पेंशन सिस्टम और पब्लिक प्रोविडेंड फंड के बारे में बताएंगे। इन दोनों को ही रिटायरमेंट की बचत के लिए उपयोग किया जाता है। आइए पहले इन दोनों प्रोडक्ट को समझते हैं।
नेशनल पेंशन सिस्टम
ये रिटायरमेंट का प्रोडक्ट पेंशन फंड रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी चलाती है। इसके जरिए सरकार पेंशन देती है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए रिटायरमेंट की सेविंग इसके जरिए की जा सकती है। इसमें आपको खुद अपने से बचत करनी होगी। ये आपके ऊपर है कि रिटायरमेंट के लिए आपको कितनी बचत करनी है। इसका फंड आपके योगदान पर ही निर्भर करेगा।
आइए देखें ये कैसे काम करता है
मौजूदा उम्र
- अर्जी देने वाले की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए
- सिर्फ भारत के नागरिक ही अर्जी दे सकते हैं
रिटायरमेंट के समय
- योगदान की रकम में से 40 फीसदी आयकर मुक्त
- पीएफआरडीए से मान्यता प्राप्त लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से एन्युटी खरीदनी होगी
पेंशन
- आपकी पेंशन आपने कितना पैसा इकठ्ठा किया है इस पर निर्भर करेगी
- एन्युटी पर टैक्स आपके टैक्स ब्रेकेट के हिसाब से लगेगा
पीपीएफ
ये भी केंद्र सरकार की ही स्कीम है। इयको पब्लिक प्रोविडेंड फंड एक्ट 1968 के तहत बनाया गया है। ये सरकार समर्थित लंबे समय की बचत स्कीम है। ये स्कीम खुद का कारोबार करने वाले जैसे दुकानदार, एमएमइ के स्टाफ के लिए बनाई गई थी। कई लोगों ने इस स्कीम के जरिए रिटायरमेंट की बचत की। इसमें निवेश किया गया पैसे पर मिला ब्याज टैक्स फ्री होता है। मैच्युरिटी पर मिलने वाली रकम भी टैक्स से मुक्त होती है।
इसमें बस एक ही दिक्कत है पीपीएफ का पैसा 15 साल के लिए ब्लॉक हो जाएगा। सातवे साल से आपको साल में एक बार रकम निकालने की अनुमति मिलेगी। पहली बार पैसा आपके निवेश किए गए साल के पूरा होने के बाद 5 पूरे वित्तीय वर्ष खत्म होने पर मिलेगा। इसका मतलब है कि आपने जिस दिन से अकाउंट खोला उसके बाद 6 वित्तीय वर्ष पूरे होने चाहिए। इसके बाद आप साल में एक बार पैसे निकाल सकते हैं। आपके अकाउंट में चौंथे साल में जितनी रकम थी उसका 50 फीसदी आप निकाल सकते हैं।
पीपीएफ अकाउंट की खास बातें
- लाभ लेने के लिए आपको भारतीय होना जरूरी
- उम्र का कोई बंधन नहीं, बच्चे का भी अकाउंट खुल सकता है
- ब्याज दर सालाना 7.9 फीसदी मिलेगी
- 15 साल के लिए पैसे निवेश होते हैं। इसमें बाद आप 5-5 साल के अंतराल पर निवेश कर सकते हैं
- सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख तक आयकर में छूट
- आप किसी भी पोस्ट ऑफिस या चुनिंदा बैंक में खाता खुलवा सकते हैं
- एचयूएफ, एनआरआई और विदेशी मूल के लोग निवेश नहीं कर सकते
- कैश, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर या ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे निवेश कर सकते हैं
- नॉमिनेशन की सुविधा उपलब्ध है
पीपीएफ में ब्याज की दर
सरकार हर तिमाही में पीपीएफ की ब्याज दरों में बदलाव करती है। इनका ब्याज सरकार सिक्योरिटीज के हिसाब से तय होता है। अगर साल 2000 से देखें तो पीपीएफ में ब्याज की दर लगातार घट रही है। जनवरी 2000 तक 12 फीसदी ब्याज था। जो 2001 में घटकर 11 फीसदी हो गया। इसके बाद से लगातार दरों में कटौती हो रही है। साल 2017 में इस पर 7.9 फीसदी ब्याज ही मिल रहा है।
क्या ये बचत काफी है?
अगर हम पीपीएफ की बात करें तो ये स्कीम अभी भी बचत का अच्छा विकल्प है। इसके जरिए आपको टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है। साथ ही इसमें निवेश कर आप सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का फायदा भी ले सकते हैं। अगर आप रिस्क फ्री रिटर्न कमाना चाहते हैं तो ये एक बढ़िया विकल्प है। अगर हम एनपीएस की बात करें तो इसमें भी आपको 2 विकल्प में निवेश करने की छूट मिलती है। इसमें एक एक्टिव विकल्प है और एक ऑटो विकल्प।
आप अगर एक्टिव विकल्प अपनाते हैं तो आपकी पेंशन की पूरी रकम सी एसेट क्लास में निवेश होगीी। इसका मतलब है आपका पैसा कॉर्पोरेट डेट, सरकारी सिक्योरिटी और 50 फीसदी तक इक्विटी में निवेश होगा। जो लोग इक्विटी स्कीम के बारे में नहीं जानते वो ऑटो विकल्प अपना सकते हैं। इसके तहत आपके निवेश का हिस्सा तीनों जगह निवेश होता है।
इसमें टियर 1 और टियर 2 अकाउंट भी होते हैं। अगर आप टियर 1 अकाउंट का विकल्प चुनते हैं तो आप अकाउंट से पैसे निकाल नहीं सकेंगे। इसमें फायदा ये है कि अगर आप टियर 1 अकाउंट का विकल्प चुनते हैं तो आपको सेक्शन 80 डी के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट का फायदा मिलेगा। अगर आप खुद से इसमें योगदान कर रहे हैं तो अतिरिक्त 50 की और छूट मिलेगी।
दूसरी तरफ टियर 2 अकाउंट खुद के निवेश का सेविंग अकाउंट होता है। ये रिटायरमेंट से लिंक नहीं होता है। आप इस अकाउंट से जब चाहे पैसे निकाल सकते हैं पर इसमें टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है।
ईएलएसएस भी अच्छा विकल्प
आप इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम के जरिए अपनी रिटायरमेंट की योजना बना सकते हैं। इसमें आपको टैक्स का फायदा भी मिलेगा। अगर पीपीएफ या पेंशन फंड को देखें तो इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम ने लंबे समय में बेहतर रिटर्न दिया है। इनका प्रदर्शन इनसे जुड़े जोखिम को भी दिखाता है। इसमें एक फायदा ये है कि आज जब चाहें तब पैसा निकाल सकेंगे। पीपीएफ और एनपीएस में ऐसा करना संभव नहीं होगा। इतना रिटर्न आपको पीपीएफ और एनपीएस में नहीं मिलेगा। ईएलएसस फंड में 3 साल का लॉकइन होता है। इनके जरिए आप लंबे समय में अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं।
इसमें निवेश कर आप 1.5 लाख तक की टैक्स छूट भी ले सकते हैं। अगर आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं तो ईएलएसस आपके लिए बेहतर विकल्प है। छोटी बचत स्कीमों में लगातार ब्याज की दर घट रही है। आप वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इनमें निवेश न करें। इनमें लंबे समय के लिए ही निवेश करें। इसके लिए एसआईपी के जरिए निवेश बेहतर तरीका हैं। तो देर न करें आज से अपने रिटायरमेंट के लिए बचत शुरू कर दें।