सर्दी का सितम बढ़ता जा रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में यूं तो ठंड अधिक नहीं पड़ती है। इस साल पश्चिमी विक्षोभ से बदले मौसम ने रायपुर को भी ठिठुरा दिया है। 21 दिसंबर की सुबह का न्यूनतम तापमान 11 डिग्री दर्ज किया गया। रेलवे स्टेशन के पास लोग अलाव का सहारा लेते नजर आए। कहा जाता है कि खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों को ठंड नहीं लगती है। रायपुर के रेलवे स्टेशन में अपनी मां की गोद में छुपे बच्चों को देखकर ठंड से ठिठुरन का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

सूर्योदय से पहले ही रोजी-रोटी की तलाश में ये गरीब अपने घर से कोसों दूर पहुंच चुके थे। पलायन कर अन्य प्रदेशों की ओर जा रहे परदेशी ढीमर, इतवारी गोड़, जोहन साहू से पूछने पर कहा कि ठंड हो, गर्मी हो उन्हें दो जून की रोटी के लिए पसीना बहाना है। तब ठिठुरन उनका रास्ता कैसे रोक सकती है?
पिछले दो दिनों से पड़ रही सर्दी के बीच शनिवार को शीतलहर जैसी हालात रही। छत्तीसगढ़ के शिमला के रूप में मैनपाट की अपनी अलग पहचान है। उत्तर से आ रही बर्फीली हवाओं के चलते ठिठुरन बढ़ गई है। शहर और गांव के आउटर में कोहरा भी कहर बरपा रहा है। तापमान में गिरावट बदस्तूर जारी है।
मौसम विभाग के अनुसार बादल छाए रहेंगे। इस बीच ठंड के और बढ़ने के आसार हैं। उत्तर भारत में बर्फबारी की संभावनाओं के बीच ठंडी हवाएं चलने से दिन के रात के न्यूनतम तापमान में गिरावट से ठिठुरन बढ़ सकती है।
डा एसपी वारे का कहना है कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य ठंड से जल्दी प्रभावित होता है। ठंड से बचने अलाव अथवा गर्म कपड़ों का सहारा लेना चाहिए। विंटर डायरिया की स्थिति में तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए।
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