भारत को हाल ही मिले राफेल लड़ाकू विमान (Rafale) और शक्तिशाली हो गया है. भारतीय वायुसेना (Iin) का राफेल विमान पहाड़ों की ऊंचाईयों में छिपे दुश्मन को निशाना बनाकर खत्म कर सकता है.
मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायु सेना के फायटर जेट राफेल में लगी लंबी दूरी की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल स्कैल्प (SCALP)के सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया गया है. राफेल में किए गए इस अपग्रेड के साथ अब यह मिसाइल के जरिए समुद्र तल से 4000 किलोमीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्य को निशाना बनाकार मार गिरा सकता है. मालूम हो कि इससे पहले राफेल 2000 मीटर की ऊंचाई तक वाले लक्ष्य को निशाना बना सकता था.
रिपोर्ट के मुताबिक, मिसाइल बनाने वाली कंपनी MBDA ने भारतीय वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद राफेल विमान के सॉफ्टवेयर में यह बदलाव किया है. बता दें कि स्कैल्प SCALP मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है.
भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए 16 ओमनी-रोल राफेल जेट विमान अप्रैल 2021 तक गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल हो जाएंगे. फ्रांस के सबसे बड़े जेट इंजन निर्माता सफरान भारत में लड़ाकू विमान के इंजन बनाने कि लिए तैयार हैं.
मालूम हो कि पांच राफेल जेट विमानों ने 29 जुलाई को अबू धाबी से अंबाला एयरबेस के लिए उड़ान भरी और उन्हें भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन 17 में शामिल कर लिया गया है.
इसके अलावा तीन राफेल का एक और जत्था 5 नवंबर को बोर्दो-मेरिग्नैक सुविधा से सीधे अंबाला पहुंचा. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, फ्रांस में IAF के लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण के लिए पहले से ही सात राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इसके अलावा तीन और राफेल जनवरी में आएंगे, मार्च में तीन और अप्रैल में सात विमान आएंगे. इसके साथ ही भारतीय वायुसेना को 21 सिंगल-सीटर फाइटर्स और सात ट्विन-सीट ट्रेनर फाइटर्स IAF को सौंपे जाएंगे. यानी कि अगले साल अप्रैल तक, गोल्डन एरो स्क्वाड्रन 18 लड़ाकू विमानों के साथ पूरा हो जाएगा और बाकी के तीन को पूर्वी मोर्चे पर चीन के खतरे का मुकाबला करने के लिए उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार में हाशिमारा एयरबेस पर भेजा जा सकता है.
सभी लड़ाकू विमान स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइलों के साथ-साथ मीका और उल्का एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस हैं. भारत ने अब सफरान से 250 किलोग्राम वारहेड के साथ एयर-टू-ग्राउंड मॉड्यूलर हथियार के लिए अनुरोध किया है, जिसे हैमर के रूप में जाना जाता है.
अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि फ्रांस भारत में अधिक राफेल लड़ाकू विमानों की सप्लाई करने के लिए तैयार है, वहीं सफरान ने भारत में कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के चार साल बाद तक स्नेक एम 88 इंजन बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया है.
एम-88 इंजन को न सिर्फ राफेल लड़ाकू विमानों में उपयोग किया जा सकता है, बल्कि इन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मार्क II और ट्विन-इंजन एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट भी लगाया जा सकता है.