देश का उच्च सदन कहे जाने वाले राज्य सभा में 27 साल बाद फिर से कोई भी सदस्य जम्मू कश्मीर से नहीं है। आपको बता दें कि ऐसा मौका तीसरी बार आया है कि जब इस सदन में कोई भी यहां से शामिल नहीं है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के चार सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद ये स्थिति पैदा हुई है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि राज्य सभा में इस तरह के हालात अन्य राज्यों के साथ भी पहले हो चुके हैं।
राज्य सभा में जिन चार सदस्यों का कार्यकाल हाल में खत्म हुआ है उनमें पीडीपी पार्टी के मीर मोहम्मद फयाज और नियाज अहमद, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और भाजपा के शमशेर सिंह हैं। हालांकि इससे पहले 1994 और 1996 में भी राज्य सभा में जम्मू कश्मीर का कोई प्रतिनिधि नहीं था। जहां तक इस बार की बात है तो आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में हुए संवैधानिक बदलाव की वजह से अब वह दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील हो चुका है। इसमें एक जम्मू कश्मीर है तो दूसरा लद्दाख है।
गौरतलब है कि 21 नवंबर 2018 को जम्मू कश्मीर की असेंबली को गवर्नर ने भंग कर दिया था। इसके बाद वहां पर छह माह के अंदर विधानसभा चुनाव कराने थे, लेकिन कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो सका। इसकी एक बड़ी वजह विधानसभा के क्षेत्रों में हुआ बदलाव भी था। डिलिमिटेशन होने के बाद ही वहां पर चुनाव कराना संभव है। वहीं अब जबकि लद्दाख एक नया केंद्र शासित प्रदेश है तो वहां पर भी नई विधानसभा का गठन किया जाना है। फिलहाल दोनों ही जगहों पर असेंबली की गैरमौजूदगी की वजह से वहां पर राज्य सभा के सदस्य चुनने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। इसलिए कुछ समय तक देश की संसद का उच्च सदन इन दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों से वंचित ही रहेगा।
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