राजकीय शिक्षक संघ के चुनावों के लिए प्रांतीय कार्यकारिणी ने कसरत तेज कर दी है। शिक्षा सचिव ने भी संघ द्वारा भेजे गए नए प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है। कागजी कार्रवाई पूरा होने के बाद संघ से जुड़े हर शिक्षक को वोट देने का अधिकार मिल जाएगा। नए संशोधन की फाइल हाथ में आने के 25 से 30 दिनों में संघ अपने चुनाव करवाने की प्लानिंग कर रहा है। संघ की रणनीति के अनुसार हुआ तो जनवरी के पहले हफ्ते में ही राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव संपन्न हो जाएंगे।
राजकीय शिक्षक संघ प्रदेश के सबसे बड़े संगठनों में शुमार है। 17 हजार से ज्यादा शिक्षक संघ से जुड़े हैं। संघ के संविधान के अनुसार दो साल में चुनाव होते हैं। राजकीय शिक्षक संघ ने अपना कार्यकाल पिछले महीने ही बढ़ाया था। संघ ने संविधान के अधिकारों का प्रयोग करते हुए अपना कार्यकाल एक शैक्षणिक सत्र यानि आगामी मार्च महीने तक बढ़ाया था। लेकिन लगातार इसका विरोध प्रदेशभर में हो रहा था। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से भी संघ को समय पर चुनाव करवाने का दबाव बनाया जा रहा था। संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा ने बताया कि चुनाव नियमों में संशोधन को शिक्षा सचिव ने मंजूरी दे दी है। अब दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में ही चुनाव संपन्न करा दिए जाएंगे।
एक ही दिन होंगे ब्लॉक से लेकर प्रांत के चुनाव
राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव नियमों में बदलाव लागू होने के बाद संघ के ब्लॉक, जिला, मंडल और प्रांत स्तर की कार्यकारिणी के चुनाव एक ही दिन संपन्न होंगे। प्रांतीय उपाध्यक्ष बहुगुणा ने बताया कि हर शिक्षक को मत का अधिकार मिल गया है। अब ब्लॉक, जिला, मंडल और प्रांत कार्यकारिणी के लिए चुनाव लड़ रहे सभी लोगों के लिए एक ही दिन वोटिंग होगी। एक ही दिन कार्यकाल शुरू भी होगा और खत्म भी। इससे समय की भी भारी बचत होगी।
हर जिले के वोट रखेंगे मायने
सचिव शिक्षा ने भी संघ द्वारा चुनाव के लिए भेजे गए नए प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। अब राजकीय शिक्षक संघ के चुनावों में हर शिक्षक को वोट देने का अधिकार मिलेगा। वहीं हर शिक्षक हर पद के प्रतिनिधि के लिए भी वोट कर सकेगा। अब तक केवल जिलों से चुने हुए प्रतिनिधि मंडलों को ही प्रांतीय कार्यकारिणी को चुनने का अधिकार था।
खत्म होगा शिक्षक नेताओं का इंतजार
प्रांतीय स्तर पर नई कार्यकारिणी में चुने जाने की उम्मीद में प्रदेश भर में शिक्षक नेताओं ने महीनों पहले से तैयारियां शुरू कर दी थी। लेकिन कार्यकारिणी का कार्यकाल बढऩे के साथ तैयारी कर रहे शिक्षकों का इंतजार और बढ़ गया था। चुनाव जल्दी होने से शिक्षकों को संतोष तो होगा। लेकिन अब शिक्षकों को चुनावी तैयारी के लिए कम समय मिलेगा।