परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख के खिलाफ याचिका में अपने ही बैच की आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का जिक्र किया। परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में कहा, रश्मि शुक्ला ने कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस बारे में पक्की जानकारी है कि टेलीफोन पर हुई बातचीत सुनने के बाद, तब स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (एसआईडी) की कमिश्नर रहीं रश्मि शुक्ला ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनिल देशमुख की हरकतों की जानकारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को दी थी।
उन्होंने यह बात महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव को बताई। सिंह ने दावा किया कि देशमुख के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय रश्मि को पद से हटा दिया गया।
रश्मि शुक्ला और परमबीर सिंह दोनों वर्ष 1988 के आईपीएस बैच से हैं। फिलहाल, रश्मि शुक्ला सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) में एडिशनल डायरेक्टर जनरल (एडीजी) हैं। इससे पहले वे डीजी (सिविल डिफेंस) के पद पर थीं। स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (एसआईडी) की कमिश्नर होने के दौरान उन्होंने अनिल देशमुख को लेकर शिकायत की थी। इससे पहले, वे पुणे पुलिस कमिश्नर का पद भी संभाल चुकी हैं।
देशमुख के गृहमंत्री बनने के बाद रश्मि शर्मा के अलावा मुंबई पुलिस आयुक्त रहे सुबोध जायसवाल (1985 बैच) भी अब केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्हें पिछले साल दिसंबर में सीआईएसएफ का डीजी बनाया गया था। उन्होंने फर्जी स्टैंप घोटाला मामले में एसआईटी का चीफ रहते हुए मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर आरएस शर्मा को रिटायरमेंट से एक दिन पहले गिरफ्तार किया था।
इस मामले में एनसीपी के ही छगन भुजबल (तत्कालीन गृहमंत्री) पर भी गाज गिरी थी। छगन भुजबल जेल गए और आज फिर से मंत्री हैं। अब मामला अनिल देशमुख और मुंबई पुलिस के बीच का है।