सरकार बनने के 16वें दिन यानि 4 अप्रैल की शाम 5 बजे योगी सरकार की पहली बैठक होगी. इस कैबिनेट बैठक पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकीं हैं, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि बीजेपी सरकार की पहली बैठक में लघु और सीमान्त किसानों का कर्ज माफ़ होगा.
लिहाजा सभी को इस बैठक का बेसब्री इन्तजार है कि योगी सरकार अपनी पहली मीटिंग में किसानों का कर्ज माफ करती है या नहीं. वैसे किसानों की कर्ज माफ़ी सरकार के लिए आसान नहीं होगा. सरकार इसके लिए बजट की व्यवस्था कैसे करेगी, यह एक बड़ी चुनौती है.
इसके अलावा अभी हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, ‘अगर कोई राज्य अपने संसाधनों से कर्ज माफ़ कर सकते हैं तो करें, लेकिन केंद्र सरकार इसमें कोई मदद नहीं कर सकती क्योंकि किसी एक राज्य को ज्यादा मदद और दूसरे राज्य को नहीं ऐसा नहीं हो सकता.’
किसानों पर 65000 करोड़ का कर्ज
यदि इस फैसले पर मुहर लगती है तो 25 हज़ार करोड़ का प्रतिवर्ष अतिरिक्त व्यय भार सरकार के हिस्से आएगा. माफ की गई राशि का भुगतान बैकों को राज्य सरकार करेगी. साथ ही केंद्र से राज्य सरकार के ऋण लेने का प्रस्ताव भी कैबिनेट में पेश होगा. राज्य सरकार एफआरबीएफ एक्ट के तहत के ऋण लेने की सीमा को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करेगी.
2010-11 के आंकड़ों के अनुसार करीब 2.30 करोड़ किसानों पर कर्ज है. 2013-14-15-16 में भयंकर सूखा और अकाल की स्थिति रही थी. सूखा और अकाल से लघु एवं सीमांत किसानों की दशा अत्यन्त गंभीर है.
कैबिनेट में किसानों की कर्ज माफ़ी का प्रस्ताव पास होने से बुलंदेलखंड के 14.86 लाख किसानों को लाभ मिलेगा. प्रदेश में लघु और सीमांत किसानों की कुल संख्या 2.15 करोड़ है. सीमांत किसान वे हैं जिनके पास 2.5 एकड़ भूमि या 1 हेक्टेयर से कम है. लघु किसान वे हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर या 5 एकड़ से कम भूमि है.
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इन प्रस्तावों पर भी लग सकती है मुहर
किसानों की कर्ज माफी के अलावा बीजेपी ने अपने लोक संकल्प पत्र में किए गए वादे जैसे अवैध बूचड़खानों को बंद करना, एंटी रोमियो दल के लिए गाइडलाइन, ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं से रायशुमारी कर इस पर अमल की तैयारी पर भी कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा सकता है.