गौरैयों के संरक्षण की सही तस्वीर देखनी हो तो आप गोरखपुर बेलघाट निवासी सुजीत कुमार के घर आ सकते हैं। यहां आपको गौरैयों का पूरा संसार ही देखने को मिल जाएगा।
इनके चार सौ घरों (घोंसलों) से इनकी चहचहाट आपको सुकून देगी। यह यूं ही नहीं बसा है, इसके नीचे खड़ी है प्यार की मजबूत नींव। इसके पीछे है लगन और तपस्या की लंबी यात्रा।
गौरैयों के संरक्षण की सही तस्वीर देखनी हो तो आप गोरखपुर बेलघाट निवासी सुजीत कुमार के घर आ सकते हैं। यहां आपको गौरैयों का पूरा संसार ही देखने को मिल जाएगा।
इनके चार सौ घरों (घोंसलों) से इनकी चहचहाट आपको सुकून देगी। यह यूं ही नहीं बसा है, इसके नीचे खड़ी है प्यार की मजबूत नींव। इसके पीछे है लगन और तपस्या की लंबी यात्रा।
लगभग 18 वर्ष पूर्व सुजीत के घर गौरैया का परिवार कहीं से भटक कर आ गया तो उनके आगे चावल के दाने बिखेर दिए। गौरैयों ने खाया। इन दानों में उनको प्यार दिखा तो महफूज हाथों का दुलार भी।
यह सिलसिला चलता रहा। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य गौरैया भी आने लगीं। घर में ही घोंसला बनाने लगीं तो सुमित के साथ उनके परिवार ने चिडिय़ों के घरों को संवारना शुरू कर दिया, पूरा संरक्षण दिया। घर की सदस्यों की तरह ही उनकी भी देखभाल होती है।
विभिन्न माध्यमों के जरिये कमरों का तापमान मेंटेन रखा जाता है। दाने और पानी की पूरी व्यवस्था रहती है। उनके स्वास्थ्य को लेकर भी परिवार संजीदा रहता है। परेशानी होने पर डाक्टरों से सलाह ली जाती है।
बचपन की सबसे सुखद स्मृतियों में गौरैया जरूर आती है, क्योंकि सबसे पहले बच्चा इसी चिडिय़ा को पहचानना सीखता है। पड़ोस के लगभग हर घर में उनका घोंसला होता था। आंगन में या छत की मुंडेर पर वे दाना चुगती थीं।
बस अड्डा और रेलवे स्टेशनों पर भी पहले ये झुंड के झुंड फुदकती रहती थीं। प्राचीन काल से ही हमारे उल्लास, स्वतंत्रता, परंपरा और संस्कृति की संवाहक गौरैया अब संकट में है। संख्या में लगातार गिरावट से उसके विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
ऐसे में जिले के निचलौल तहसील क्षेत्र में गौरैया पक्षियों की आमद से गांव में नई उमंग व उर्जा का संचार हो रहा है। यहां लगभग हर घरों में गौरैया पक्षियों ने अपना घोंसला बनाया हुआ है।
तीन वर्ष पूर्व जब वन विभाग की टीम द्वारा महराजगंज में गौरैया संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा था, उसके पूर्व ग्रामवासी कृष्णमणि पटेल के घर पर इन पंक्षियों का सुंदर व प्राकृतिक आशियाना बना हुआ था।
कृष्णमणि पटेल ने इनको चुगने के लिए दाना व गर्मी में पीने के लिए पानी आदि की सुंदर व्यवस्था भी की जाती है। फिर क्या था धीरे-धीरे अन्य ग्रामवासी भी इस रूझान में समय देेने लगे और बदलते समय के दौर में पक्षियों की आमद बढ़ गई है। वर्तमान समय में यहां अधिकतर घरों में गौरैया अपना घोंसला बनाईं हैं।
गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में नागरिकों को जागरूक करने के लिए सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग ने अपने सभी सातों रेंज के क्षेत्रों में 100-100 नागरिकों को घोंसले वितरित किए थे। डीएफओ पुष्प कुमार ने बताया कि इस वर्ष भी नागरिकों को संरक्षण के लिए जागरूक किया जाएगा।