चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के शाक भाजी विभाग ने भिंडी की ऐसी प्रजाति विकसित की है जो थायराइड, ल्यूकोरिया व मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है।

विश्वविद्यालय के किसान मेला में किसानों के लिए लाल भिंडी (आजाद कृष्णा) की यह प्रजाति आकर्षण का केंद्र रही। कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन ने कृषि स्टॉल का भ्रमण करने के दौरान भिंडी की यह प्रजाति भी देखी।
आजाद कृष्णा भिंडी की नई प्रजाति की पैदावार 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। सीएसए ने अपने खेतों में उगाकर इसका परीक्षण किया है।एंटीऑक्सीडेंट व एंथोसाइनिन होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद होती ही है जबकि इसके सूखने के बाद गुड़ साफ करने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि बहुत कम किसानों को भिंडी की इस नई प्रजाति के बारे में जानकारी है। इसलिए किसान मेले में इसे देखने के लिए रखा गया है। शाक सब्जी विभाग ने इसके अलावा हाईटेक नर्सरी का मॉडल भी बनाकर मेले में प्रस्तुत किया।
इस मॉडल में पॉलीहाउस के जरिये हरी, लाल, पीली व नीली शिमला मिर्च की खेती करने की तकनीक बताई। इसके अलावा बैंगन, ब्रोंकली यानि हरी गोभी व टमाटर की ऐसी हाईब्रिड प्रजाति की पैदावार भी खेती की इस तकनीक के जरिए की जाती है। डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि इस खेती की खास बात यह है कि इसमें किसानों को सौ फीसद उपज मिलती है। इसका बीज दस से 15 रुपये का होता है लेकिन सभी बीजों में रोगरहित अच्छी पैदावार होती है। पॉलीहाउस के लिए विकसित किए गए सब्जी के 60 से 70 हजार पौधे किसानों ने बागवानी के लिए खरीदे हैं।
सीएसए के किसान मेला में गृह विज्ञान महाविद्यालय की छात्राओं ने फैब्रिक पेंटिंग, इंब्राइडरी, जींस इंब्राइडरी का नमूना पेश किया। उन्होंने लैपटॉप कवर, मॉडर्न ड्रेस, हाथ से बनाई गई मोतियों की सीनरी व हैंड पेंटिंग बनाकर प्रदर्शनी में सजाई। इन सबके बीच मूंगफली के छिलके से कपड़ों की रंगाई करने की कला आकर्षण का केंद्र रही। मूंगफली के छिलके व मटर के फूलों से कपड़ों की रंगाई करके उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई।
छात्राओं ने इन छिलकों की डाई बनाकर दुपट्टों, सूट व टीशर्ट की रंगाई करके उन्हें फैशन का हिस्सा बनाया है। छात्राओं ने बताया कि इसके लिए पहले मूंगफली के छिलके व मटर के फूल को धोकर साफ किया जाता है। उसके बाद सुखा कर उसका पाउडर बनाया जाता है। यह पाउडर गर्म पानी में डालते हैं। एक मीटर कपड़े के लिए 500 ग्राम पाउडर पर्याप्त होता है। पानी उबलने के बाद कपड़ा डालते हैं, जिसे 30 मिनट तक उबाला जाता है। इससे यह रंगीन हो जाता है।
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