आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से कॉकरोच पालन पर नजर रखी जाती है। इसके जरिए बिल्डिंग के अंदर तापमान, खाने की उपलब्धता और नमी पर नियंत्रण रखा जाता है। लक्ष्य कम समय में ज्यादा से ज्यादा कॉकरोच पैदा करने का होता है। जब कॉकरोच व्यस्क होते हैं, इन्हें कुचल दिया जाता है और इसका शरबत की तरह चीन के परंपरागत दवाई के रूप में पिया जाता है। इसका इस्तेमाल दस्त, उल्टी, पेट के अल्सर, सांस की परेशानी और अन्य बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
शानडॉन्ग एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इंसेक्ट एसोसिएशन ऑफ शानडॉन्ग प्रोविंस के निदेशक लियू यूशेंग ने द टेलीग्राफ अखबार से कहा कि कॉकरोच वास्तव में एक चमत्कारी दवा हैं। वो आगे कहते हैं कि वे कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं और अन्य दवाओं की तुलना में वे बहुत तेजी से काम करते हैं। प्रोफेसर लियू के मुताबिक, बुजुर्ग आबादी चीन की समस्या है। वो कहते हैं कि हमलोग नई दवाई खोजने की कोशिश कर रहे हैं और ये पश्चिमी देशों की दवाई से सस्ती होगा।
दवाई के लिए कॉकरोच का पालन सरकारी योजनाओं का हिस्सा है और इसकी दवाई का अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन कई ऐसे भी हैं जो इस पर चिंता जाहिर करते हैं। बीजिंग के चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस के एस शोधकर्ता ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट से कहा कि कॉकरोच का शरबत रोगों के लिए रामबाण इलाज नहीं है। यह सभी बीमारियों पर जादुई असर नहीं करता है।
एक बंद जगह में इस तरह के कीड़े को पालन और पैदावार बढ़ाना खतरनाक साबित भी हो सकता है। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के प्रोफेसर झू केयोडॉन्ग कहते हैं कि अगर यह इंसान की गलती या फिर भूकंप के कारण अरबों कॉकरोच बाहर आ जाएं, तो यह विनाशकारी भी साबित हो सकता है।