उत्तर प्रदेश में अपहरण की बढ़ती घटनाओं को लेकर पुलिस की चौतरफा आलोचना हो रही है. कानून-व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. इन सबके बीच अब यूपी के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने फिरौती के लिए अपहरण से संबंधित घटनाओं में कार्यवाही और विवेचना को लेकर एसओपी जारी किया है.
डीजीपी ने 12 बिंदुओं की एसओपी जारी करने के साथ ही प्राथमिकता के आधार अपहृत व्यक्ति की तत्काल सकुशल बरामदगी के निर्देश दिए हैं. डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की ओर से जारी की गई एसओपी में कहा गया है कि घटना की सूचना प्राप्त होते ही थाना प्रभारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण करें.
ऐसे मामलों में बगैर देर किए धारा 364 ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण की एफआईआर दर्ज की जाए. साथ ही 24 घंटे के अंदर फोटो और पूरा विवरण प्रदेश में और देश के अन्य हिस्सों में भेज कर जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाए.
डीजीपी ने कहा है कि अपहरण और फिरौती की घटनाओं में पहले शामिल रहे अपराधियों पर भी कड़ी नजर रखी जाए. उनकी संलिप्तता मिले तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. अपहरणकर्ता के पास मोबाइल होने पर सर्विलांस की टीम को भी लगाया जाए और डेटा कलेक्ट किया जाए.
अपहरणकर्ता और अगवा किए गए व्यक्ति की बरामदगी के लिए विशेष टीम का गठन किया जाए और जरूरत पड़ने पर एसटीएफ के बड़े अधिकारियों से भी संपर्क साधा जाए.
डीजीपी की ओर से जारी एसओपी में यह भी कहा गया है कि अपहरण और फिरौती में अगर किसी गिरोह के संलग्न होने का संदेह हो, तो एक से अधिक टीम बनाकर सारी सूचना एकत्रित की जाएं.
नामित अभियुक्तों से पूछताछ के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाए. पॉलीग्राफ टेस्ट, ब्रेन मैपिंग और नारकोटिक्स की जांच भी कानून के मुताबिक कराई जाए.
घटनाओं की वरिष्ठ अधिकारी निरंतर समीक्षा करें. गौरतलब है कि यूपी में पिछले कुछ दिनों में ही एक के बाद अपहरण की कई घटनाएं सामने आई हैं.
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में भी मासूम बच्चे का अपहरण कर एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगे जाने और हत्या कर दिए जाने की घटना हुई थी. इसके बाद से हमलावर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि प्रदेश में हर रोज गुंडाराज के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं.