अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने रविवार को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय पर संगठन की मासिक बैठक की. इसमें आगामी पंचायत चुनाव को लेकर समीक्षा की गई. इस दौरान अनुप्रिया पटेल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि आने वाले पंचायती चुनाव में कार्यकर्ता जी जान से जुट जाएं और तैयारियां करें. हर बूथ पर 10 यूथ खड़ा करने की बात उन्होंने कही. पार्टी की मूल ताकत कार्यकर्ता हैं. हमें जिलों में जोन और सेक्टर का बंटवारा करने के बाद अब बूथ पर जोर देना है. हम पार्टी के संगठन को निरंतर मजबूती दे रहे हैं. इस गति से हम पंचायत चुनाव में मजबूत स्थिति में होंगे और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी सफल होंगे.
अनुप्रिया पटेल ने बहुजन महापुरुषों की जयंती मनाने का निर्देश दिया. पूर्व सांसद ने कहा कि महापुरुषों की जयंती समारोह के दौरान समाज के निचले तबके के पांच लोगों को हर विधानसभा क्षेत्र में सम्मानित करने का कार्यकर्ता काम करें और उन्हें पार्टी से भी जोड़ें.
बकौल पूर्व केंद्रीय मंत्री एनडीए की बैठक में हमने कहा कि भारत सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग का अलग से मंत्रालय बनाया जाए. इस विषय को प्रधानमंत्री के सामने हमने उठाया. फिलहाल सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय बना हुआ है.
भारत सरकार के अंतर्गत ओबीसी, ट्रांसजेंडर, वृद्धजनों, दिव्यांगजन से जुड़े विषयों, भिखारी और अनुसूचित जाति से जुड़े विषयों को यही मंत्रालय देखता है. इन सभी चीजों को एक ही मंत्रालय देख रहा है. इसकी वजह से काम सुचारू ढंग से नहीं हो पा रहा है. इसीलिए मैंने आवाज उठाई थी कि पिछड़ा वर्ग के लिए अलग से मंत्रालय बनाया जाए.
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 90 के दशक में जब मंडल कमीशन आया था तब 54-56 प्रतिशत ओबीसी आबादी बताई गई थी. आज इस आबादी को 60 प्रतिशत तक माना जा सकता है. लेकिन इस आबादी से संबंधित समस्याओं का निवारण सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के जरिये किया जाता है.
इस मंत्रालय के पास अन्य कई विभाग हैं, जिसकी वजह से पिछड़ों के साथ न्याय नहीं हो पाता है. लिहाजा, पिछड़ों की समस्याओं के निदान के लिए ओबीसी मंत्रालय का गठन जरूरी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय, आदिवासी मंत्रालय की तरह ही पिछड़ा वर्ग मंत्रालय का भी गठन किया जाए.
अनुप्रिया पटेल ने मांग की कि भारतीय न्यायिक सेवा आयोग का भी गठन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में नीचे से ऊपर सर्वोच्च न्यायालय तक जजों की पर्याप्त संख्या नहीं है. इसलिए मामले लंबित होते रहते हैं, और तारीख पर तारीख लगती रहती है. सामाजिक न्याय भी होना चाहिए. हम पूछते हैं कि सामाजिक न्याय करने का सबसे बड़ा माध्यम क्या है? विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका यहां तक मीडिया में सभी में हर वर्ग को उसकी आबादी के हिसाब से जगह मिले. इन्हीं कारणों से हमारी पार्टी भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के गठन की मांग करती है.
पूर्व लोकसभा सांसद ने ओबीसी के कट-ऑफ को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि पिछड़ों का कट-ऑफ ज्यादा आना चिंता की बात है. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 2019 सिविल सर्विसेज एग्जाम में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों का कट-ऑफ सामान्य वर्ग से ज्यादा जारी किया. यह चिंताजनक और बहुत बड़ी विसंगति है. इसे दूर करना जरूरी है. जो वर्ग सामाजिक एवं आर्थिक एवं शैक्षणिक तौर पर पीछे हैं, उसी वर्ग के बच्चों को सामान्य वर्ग के कट-ऑफ से ज्यादा अंक लाना दु:खद है. इन ज्वलंत मुद्दों को हम सभी को हर गांव, चौक-चौराहों पर उठाने की जरूरत है.