गर्मी आते ही दो वजहों से दूध की किल्लत हो जाती है। पहला इस मौसम में मवेशियों की दूध देने की क्षमता कम हो जाती और दूसरा सहालग के कारण खपत बढ़ जाती है। यही वजह है हर साल गर्मी मे पैकेट में आने वाले दूध के दाम बढ़ जाते हैं। पर कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण इस बार उल्टी गंगा बह रही है। यूपी के प्रयागराज में दूध सस्ता हो गया है और पानी महंगा। एक लीटर पानी की बोतल 20 रुपये में बिक रही है जबकि गाय का दूध 15 तो भैंस का 18 रुपये प्रति लीटर।
कोरोना के चलते शादी एवं अन्य समारोह नहीं हो रहे हैं। मिठाई की दुकानें भी बंद हैं। इस वजह से दूध की मांग कम हो गई है। स्थिति यह है कि लॉकडाउन के पहले जिले में हर रोज 1.10 लाख लीटर दूध बिकता था। लेकिन इस समय लगभग 68000 लीटर के आसपास दूध की बिक्री हो रही है। बिक्री सिर्फ विवाह आदि समारोह और मिठाई की दुकानें बंद होने से नहीं प्रभावित हुई है। कोरोना के भय से लोग दूधियों से दूध लेने में भी कतरा रहे हैं। दूध का कारोबार करने वालों की कमर टूट गई है। इनके लिए मवेशियों को पौष्टिक आहार में आने वाला खर्च निकलाना मुश्किल हो रहा है। मवेशियों और खुद का पेट भरने के लिए कोरोबारी पहले की तुलना में आधे से भी कम दाम पर दूध बेचने के लिए मजबूर हैं।
80 रुपये में बिक रहा खोवा
पशुपालक खोवा बना कर भी बेहतर आमदनी करते थे, लेकिन उसकी भी बिक्री बंद हो गई है। ज्यादातर पशुपालक खोवा बना ही नहीं रहे हैं। जो बना रहे हैं, वे कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं। 150 से 200 रुपये किलो बिकने वाला खोवा इस समय 70 से 80 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। छाछ और दही की बिक्री भी प्रभावित हुई है जबकि पनीर की मांग बढ़ी है।
40 हजार लीटर तक दूध बेचते हैं दूधिया
जिले में हर रोज 1.10 लाख लीटर दूध की खपत है। इसमें लगभग 70 हजार लीटर दूध अलग-अलग कंपनियों के जरिए बेचा जाता है तो 35 से 40 हजार लीटर दूध की आपूर्ति दूधिया घर-घर और दुकानों पर जाकर करते हैं।
आधा हो गया है कारोबार: महाप्रबंधक
पराग डेयरी के महाप्रबंधक दिनेश कुमार सिंह कहते हैं कि जिले में हर रोज 50 लाख से अधिक का दूध का कारोबार होता है लेकिन इस समय 25 लाख का ही कारोबार हो पा रहा है। सरकार को दूध कारोबारियों के लिए उचित और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरपी राय कहते हैं कि दूध का धंधा मंदा हो चुका है। सरकार को दूध के कारोबारियों को अनुदान देना चाहिए।
संजय पांडेय, संचालक, प्रयाग डेयरी कहते हैं कि प्रतिदिन 200 लीटर दूध की बिक्री की जाती है, लेकिन इस समय बिक्री प्रभावित हो गई है। दहशत में लोग दूध खरीदने से कतरा रहे हैं। डेयरी में काम करने वालों का खर्च निकालना मुश्किल है। हमारे के लिए यह मौसम सबसे बेहतर होता था पर कमर टूट गई है। सरकार को डेयरी संचालकों को आर्थिक मदद देनी चाहिए।