यूपी में अगले दो दिन प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया। बादलों की आवाजाही जारी रहेगा। कुछ इलाकों में हल्की बारिश के आसार हैं।
अगले दो दिन प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया। बादलों की आवाजाही जारी रहेगा। कुछ इलाकों में हल्की बारिश के आसार हैं। दरअसल, आषाढ़ बीत गया, सावन भी बीतने को है, मगर उत्तर प्रदेश पर बरखा रानी मेहरबान नहीं हो रहीं। मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक महज 49.5 प्रतिशत बारिश ही हुई है। जून से अब तक प्रदेश में 375.9 मिलीमीटर सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, मगर हुई है महज 186.2 मिमी बारिश। कम बारिश की वजह से इस बार खरीफ की मुख्य फसल धान की पैदावार घटने के आसार पैदा हो गये हैं।
मध्य यूपी की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इस अंचल में अब तक 361.8 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 169.0 मिमी यानि 46.7 प्रतिशत, पूर्वी यूपी में 442.7 मिमी की सामान्य वर्षा के सापेक्ष 201.7 मिमी यानि 45.5 प्रतिशत बारिश हुई है।
पिछले साल की मानसून बारिश से तुलना करें तो जून से जुलाई तक प्रदेश के 14 जिलों में 120 प्रतिशत से अधिक बारिश हो चुकी थी जबकि इस बार महज दो जिलों में इतनी बारिश हो पाई है। 80 से 120 प्रतिशत बारिश पिछले साल जून से जुलाई के बीच 34 जिलों में हुई थी जबकि इस बार ऐसे जिलों की संख्या महज 8 है।
60 से 80 प्रतिशत बारिश पिछले साल 11 जिलों में हुई थी जबकि इस बार 13 जिलों में हुई। 40 से 60 प्रतिशत बारिश पिछले साल 13 जिलों में हुई जबकि इस बार 30 जिलों में हुई। इस बार प्रदेश के 22 जिले ऐसे हैं जहां 40 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है जबकि पिछले साल महज तीन जिलों में ही 40 प्रतिशत से कम बारिश हुई थी।
बारिश होने का अलर्ट जारी
हालांकि मौसम विभाग ने अगले दो दिनों पूरे प्रदेश में अधिकांश स्थानों पर भारी बारिश होने का अलर्ट जारी किया है। मगर अब तक हुई कम बारिश की वजह से खरीफ की फसलों को नुकसान तो हो ही चुका है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक धान की रोपाई 87 प्रतिशत हो चुकी है। मगर रोपाई के बाद बारिश न होने की वजह से धान के खेत पानी से लबालब नहीं भर रहे इस कारण इस बार धान की पैदावार घटने के आसार पैदा हो गए हैं। इस बार कम बारिश होने की वजह से करीब दो हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी ही नहीं पड़ सकी।
लक्ष्य था 3 लाख 93 हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी डाले जाने का जबकि नर्सरी सिर्फ 3 लाख 91 हजार हेक्टेयर में पड़ी है। इस बार धान का रकबा भी घट गया। पिछले साल 56 लाख 99 हजार हेक्टेयर में अब तक धान की रोपाई हो गई थी जबकि इस बार अब तक 51 लाख 59 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हो सकी है।
धान के अलावा मक्का, ज्वार, बाजरा व अन्य मोटे अनाज की बोवाई भी प्रभावित हुई है। कृषि विभाग ने कम बारिश वाले जिलों में किसानों को दलहनी, तिलहनी फसलें लेने की सलाह दी है क्योंकि इन फसलों में पानी की कम खपत होती है।