मौसम विभाग की इन स्थानों पर हल्की से भारी बारिश की भविष्यवाणी, भूस्खलन और जल-जमाव का खतरा

देश के कई इलाकों में जमकर बारिश हो रही है। बताया गया कि मानसून अभी भी सक्रिय है, जिस कारण बारिश के संयोग बन रहे हैं। अब गुरुवार को भी मौसम विभाग द्वारा कई स्थानों पर बारिश की चेतावनी जारी की गई है। बताया गया कि पिछले कुछ दिनों से लगातार भारी बारिश के बाद गुरुवार को जलपाईगुड़ी(पश्चिम बंगाल) के कई इलाकों में जलभराव की सूचना मिली। दार्जिलिंग के सेवोक के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 31 और राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर लगातार बारिश से कई भूस्खलन की घटना सामने आई हैं। बंद सड़कों को साफ करने के लिए काम चल रहा है।

मौसम विभाग के अनुसार, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूचबिहार जिलों में भारी बारिश हुई है। वहीं, आईएमडी ने अगले दो-तीन दिनों में उत्तर-पूर्वी भारत, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बहुत भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है। आईएमडी के अनुसार, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग दोनों में 27 सितंबर तक आसमान में आमतौर पर बादल छाए रहेंगे। इन क्षेत्रों में तापमान 24 डिग्री सेल्सियस और 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है।

वहीं, दिल्ली में बारिश की बात करें तो भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने सितंबर के शेष दिनों में बारिश नहीं होने का अनुमान लगाया है। अगले कुछ दिनों तक अधिकतम और न्यूनतम तापमान में एक डिग्री की वृद्धि होने की संभावना है। कहा गया कि मानसून वापसी की तारीख महीने के अंत तक घोषित की जाएगी। हालांकि, आधिकारिक तौर पर मानसून सीजन 30 सितंबर तक खत्म हो जाने की उम्मीद है।

आइएमडी के वरिष्ठ विज्ञानी ने बताया था कि इस साल पूरे देश में सामान्य से सात फीसद अधिक बारिश हुई है। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से 15 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है। IMD ने रविवार को कहा था, ‘मानसून का मौसम आधिकारिक तौर पर 30 सितंबर को समाप्त हो जाएगा, लेकिन बंगाल की उत्तर-पूर्वी खाड़ी के ऊपर एक ताज़ा कम दबाव के क्षेत्र के विकास के साथ, इसके उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी के अभी तक कोई संकेत नहीं हैं।’

आइएमडी के वरिष्ठ विज्ञानी राजेंद्र कुमार जेनामणि ने एजेंसी एएनआइ को बताया था कि इस साल पश्चिमी विक्षोभ की संख्या बहुत कम रही, इसी के चलते उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत में कम बरसात हुई। उत्तराखंड में भी हर साल की तरह इस वर्ष कम बारिश हुई। हालांकि, जितनी भी बरसात हुई है वह खेती के लिए ठीक है। बताया गया था कि पश्चिमी विक्षोभ एक तरह का चक्रवात है, जो यूरोप में भूमध्य सागर के ऊपर पैदा होता है और जब यह आगे बढ़ता हुआ पूरब की ओर आता है तब भारत में पश्चिम की ओर से प्रवेश करता है तथा इसी के परिणाम स्वरूप जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में बारिश होती है। बता दें कि उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत में पिछले सात सितंबर के बाद से अच्छी बरसात नहीं हुई है, इसी के चलते उमस के साथ ही तापमान बढ़ गया है।

 

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