जमीय-ए-उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर्रहमान के बाद पाकिस्तान में एक और मौलाना ने इमरान खान की सरकार की नाक में दम कर दिया है। इनका नाम है मौलाना अब्दुल अजीज (Maulana Abdul Aziz)… जिन्होंने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित लाल मस्जिद पर कब्जा कर लिया है और खुद को इस सरकारी मस्जिद का मौलवी होने का दावा कर रहे हैं। उन्हें बेदखल करने के लिए सरकारी अमले की सांसें उखड़ने लगी हैं।
दरअसल, मौलाना अजीज (Maulana Abdul Aziz) को लाल मस्जिद के मौलवी के पद से हटा दिया गया है। उन्होंने सेना और वजीरिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन के विरोध में फतवा जारी किया था। इसके बाद पाकिस्तानी हुकूमत नाराज हो गई थी और साल 2004 में अदालत ने उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी किया था। बाद में साल 2009 में अजीज की जेल से रिहाई हुई।
मौलाना अजीज ने साल 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल के हमलावरों का खुलेआम समर्थन किया। इस हमले को उन्होंने आतंकियों का एक प्रतिक्रियात्मक कदम बताया था।
मौलाना के इस कदम से एक और विवाद खड़ा हो गया था। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पद से हटाए गए मौलाना अजीज ने बीच में जब देखा कि प्राधिकारी अन्य मुद्दों में व्यस्त हैं तो उन्होंने कुछ हफ्ते पहले मस्जिद में फिर से प्रवेश कर लिया।
मौजूदा वक्त में हालात यह हैं कि इस्लामाबाद प्रशासन ने मस्जिद के बाहर के क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है। मौलाना अजीज छात्राओं के साथ भीतर हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, इस्लामाबाद के जी-7 इलाके में जामिया हफसा की लगभग 100 छात्राएं बीते बृहस्पतिवार की रात को मस्जिद की इमारत में प्रवेश कर गईं।
हालांकि इस बीच राजधानी प्रशासन के अधिकारियों ने मौलाना अजीज से बातचीत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। फिलहाल, गतिरोध कायम है और कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं है।