आजकल अधिकतर लोगों के पास स्मार्टफोन है। स्मार्टफोन की लत लोगों को ऐसी लग गई है कि लोगों को एक पल भी फोन के बिना रहने में घुटन महसूस होने लगी है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आपका ही मोबाइल आपके लिए मीठा जहर का काम कर रहा है।
किसी को भी मोबाइल का साथ छोड़ना गंवारा नहीं या ये कहें हमें सबसे ज्यादा जरूरत अब मोबाइल की ही है, लेकिन जितना ये हमारे लिए जरूरी है उतना ही नुकसानदायक है।
घंटों आप से चिपककर रहने वाला आपका मोबाइल हैंडसेट आपके लिए कहीं ‘साइलेंट किलर’ तो साबित नहीं हो रहा। चाइनीज समेत कई नामी ब्रांड के ऐसे मोबाइल हैंडसेट की बाजार में भरमार है जिनसे निकलने वाला रेडिएशन मानक से अधिक है।
मोबाइल रेडिएशन से दिमाग का कैंसर, एकाग्रता, आंख की समस्याएं, तनाव में वृद्धि, जन्मजात के लिए जोखिम, न्यूरोडेगेनेरेटिव डिसऑर्डर, दिल का जोखिम, प्रजनन क्षमता और सुनने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एम्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक स्टडी में दावा किया गया है कि मोबाइल रेडिएशन के कारण इंसान बहरा हो सकता है और यहां तक कि नपुंसक होने की भी संभावना है।
मोबाइल फोन इस्तेमाल करते वक्त शरीर में जाने वाले मोबाइल रेडिएशन को स्पेसिफिक एब्सार्पशन रेट यानी सार कहते हैं। इंडिया में स्पेसिफिक एब्सार्पशन रेट के लिए मानक तैयार किए गए हैं, जिसके मुताबिक हर मोबाइल फोन का सार 1.6 वॉट प्रति किग्रा से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
अगर यह इससे ज्यादा है तो यह आपके शरीर के लिए नुकसानदायक है। एसएआर यह बताता है कि हमारा शरीर कितनी मात्रा में रेडिएशन को ग्रहण कर सकता है। अपने मोबाइल का रेडिएशन स्तर यानि एसएआर जांचने के लिए *#07# डायल करें।
अगर फोन का सार वैल्यू 1.6 वॉट प्रति किग्रा (1.6 W/kg) से अधिक है तो तुरंत अपना फोन बदल लें। आईफोन में सार वैल्यू चेक करने के लिए सेटिंग में जेनरल के बाद लीगल में आरएफ एक्पोजर चेक करें।