देश में कोरोना वायरस की बेकाबू होती रफ्तार के बीच मास्क और सैनेटाइज़र को ज़रूरी सामान की लिस्ट से हटा दिया गया है.

संकट की इस घड़ी में इस फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच ये बात सामने आई है कि सैनेटाइज़र और मास्क बनाने वाली कंपनियों ने केंद्र सरकार से ऐसा ना करने की अपील की थी, लेकिन केंद्र ने इन अपील को दरकिनार कर दिया.
इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD)ने कन्ज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा था कि देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं.
ऐसे में 2-3 ply मास्क को अगले 6 महीने तक जरूरी सामान की लिस्ट में ही रखना चाहिए. हालांकि, सैनेटाइजर को लेकर रिव्यू की बात कही थी.
लेकिन इस सलाह को दरकिनार कर एक जुलाई को सरकार की ओर से नई लिस्ट जारी की गई, जिसमें सैनेटाइजर और मास्क शामिल नहीं था.
AIMED ने सरकार से 30 जून को ही कहा था कि जैसे ही अनलॉक शुरू हुआ है और लोग बाहर निकलने लगे हैं, ऐसे में मास्क और सैनेटाइजर की डिमांड बढ़ी है.
AiMeD के फॉरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ ने इंडिया टुडे को बताया कि हमने इनके दामों पर कैप लगाने की भी बात की थी.
लेकिन अब जब इन्हें जरूरी सामान की लिस्ट से हटाया गया है, तो फिर मास्क और सैनेटाइजर के दाम बढ़ सकते हैं. लेकिन अगले एक साल तक 10 फीसदी से अधिक दाम नहीं बढ़ाया जा सकता है.
हालांकि, PWMAI के प्रमुख डॉ. संजीव रेहलान का कहना है कि अब देश में मास्क और सैनेटाइजर काफी प्रचुर मात्रा में बन रहा है, ऐसे में लिस्ट से नाम हटने से दिक्कत नहीं आएगी और सप्लाई या दाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
बता दें कि कोरोना वायरस संकट के आते ही देश में मास्क और सैनेटाइजर की डिमांड बढ़ गई थी. जिसे देखते हुए सरकार ने मार्च में इन्हें जरूरी सामान की लिस्ट में शामिल किया था, तब 100 ML के सैनेटाइजर के दाम को 100 से ऊपर ना ले जाने को कहा गया था. जरूरी सामान की लिस्ट में शामिल होने पर किसी तरह की ब्लैक मार्केट पर रोक लग जाती है.
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