चीन को आर्थिक झटका देने के लिए मोदी सरकार चीनी आयात पर अंकुश लगाने का लगातार प्रयास कर रही है. अब सरकार ने चीन से पावर टिलर और उसके कलपुर्जों के आयात पर अंकुश लगाया है.
इनको बड़ी संख्या में चीन से आयात किया जाता है. पावर टिलर एक कृषि मशीन है, जिसका इस्तेमाल खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए किया जाता है.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा है, ‘पावर टिलर और उसके कलपुर्जों की आयात नीति को संशोधित कर मुक्त से निषिद्ध (Rrestricted) कर दिया गया है. किसी उत्पाद को ‘निषिद्ध’ या वर्जित श्रेणी में रखने का अर्थ है कि आयातक को उनका आयात करने के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेना होगा.
पावर टिलर एक कृषि मशीन है, जिसका इस्तेमाल खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए किया जाता है. पावर टिलर के कलपुर्जों में इंजन, ट्रांसमिशन, चेसिस और रोटावेटर शामिल हैं.
इससे चीन से आने वाले पावर टिलर और उसके कलपुर्जों के आयात पर रोक लग जाएगी और इसके भारतीय निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलेगा.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, DGFT ने आयात लाइसेंस लेने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित कर रखी है. इसके तहत किसी या सभी फर्म को एक साल में जारी अथॉराइजेशन का कुल मूल्य कंपनी द्वारा पिछले साल आयातित पावर टिलकर के वैल्यू के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इसी तरह पावर टिलर के कलपुर्जों के लिए भी 10 प्रतिशत की सीमा तय की गई है.
इसमें कहा गया है, ‘केवल मैन्युफैक्चरर ही पावर टिलर और उसके कलपुर्जों के इम्पोर्ट अथॉराइजेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदक को संतोषजनक होना चाहिए और उसके पास ट्रेनिंग, पोस्ट सेल्स सर्विस, स्पेयर पार्ट का संतोषजनक और साबित किया हुआ बुनियादी ढांचा होना चाहिए.
गौरतलब है कि पिछले महीने भारत-चीन नियंत्रण रेखा पर हुई एक हिंसक झड़प में हमारे देश के 20 वीर सैनिक शहीद हो गए थे.
इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था. चीन को आर्थिक झटका देने की कोशिश के तहत ही देश में चीनी माल के बहिष्कार का अभियान चल पड़ा और सरकार भी लगातार चीनी आयात पर अंकुश और चीनी कंपनियों को सरकारी ठेकों से बाहर कर चीन को झटका देने में लगी है. इसके पहले कई वस्तुओं के चीन से आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी भी लगाई गई है.