कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार 26वें दिन किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं केंद्र सरकार ने दावा किया है कि ये कानून किसानों के हित में हैं। सरकार का कहना है कि उसने ठोस समस्याओं का समाधान कर दिया है और वार्ता के जरिए बाकी परेशानियों का भी हल निकालने के लिए तैयार है। दूसरी ओर किसान कानून को वापस लेने से कम में मानने को तैयार नहीं हैं। अब किसानों ने सरकार को खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने भूख हड़ताल करने का एलान किया है। दूसरी ओर सरकार ने भी 40 किसान संगठनों के नाम पत्र लिखा है जिसमें उन्हें एक बार फिर वार्ता का निमंत्रण दिया गया है।
केंद्र सरकार ने रविवार को तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है और कहा है कि वे इसकी तिथि तय करें। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के संगठनों को एक पत्र लिखा है।
उल्लेखनीय है कि किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं। सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसान संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने एक दिन की भूख हड़ताल का एलान किया है। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि 21 दिसंबर को किसान सभी धरना स्थलों पर 24 घंटे का उपवास शुरू करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हैं। आगामी 27 दिसंबर को इसका प्रसारण होना है। ऐसे में भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने लोगों से अपील की है कि प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम के दौरान पूरे समय थाली पीटते रहें।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने हरियाणा के किसानों को लेकर नया एलान किया है। उनका कहना है कि हरियाणा के किसान 21 दिसंबर को भूख हड़ताल करेंगे। साथ ही वे 25 से 27 दिसंबर तक नाकों पर टोल नहीं देंगे।
किसान आंदोलन के बीच आ रहे किसान दिवस को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने एक अपील की है। उन्होंने कहा है कि 23 दिसंबर को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए लंच न बनाएं।
नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़े 40 किसान संगठनों के आंदोलन के रविवार को 25 दिन हो गए। इस दौरान सरकार से कई दौर की बातचीत के बावजूद किसान नेता गतिरोध समाप्त करने में नाकाम रहे। यूनियनों ने कहा है कि उन्हें सरकार के रुख में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है।
सिंघु बॉर्डर पर जमे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष मंजीत सिंह राय ने कहा कि सरकार हमारे मामले को अनावश्यक लटका रही है। उसे इस कानून को अभी वापस ले लेना चाहिए और किसानों को उनके घर भेज देना चाहिए।