केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने चीन की धोखेबाजी पर बड़ा खुलासा किया है. वीके सिंह ने बताया कि कैसे गलवान घाटी में कैसे झड़प हुई. गलवान में 15 जून की रात क्या हुआ था. इसके साथ वीके सिंह ने कहा कि यह 1962 का भारत नहीं है. मौजूदा राजनीतिक नेतृ्त्व हर विकल्प के लिए तैयार है.
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीन की हमेशा से खासियत रही है कि वो अपने क्लेम लाइन को आगे बढ़ा-चढ़ाकर बताता है. उनके प्रधानमंत्री ने 1959 में हमारे प्रधानमंत्री को जो नक्शा दिया था, उस नक्शे पर उन्होंने क्लेम लाइन मार्क कर रखी थी. नक्शे को जमीन पर उतारेंगे तो कहीं न कहीं गड़बड़ है, जिसका वो फायदा उठाते हैं.
पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने कहा कि दोनों देश की सेनाएं अपने क्लेम लाइन तक जाने की कोशिश करती हैं, इसलिए गर्मियों के मौसम में पेट्रोल आमने-सामने आते हैं. झड़प नहीं होता था, लेकिन आमने-सामने आ जाते थे. पिछले 5-6 साल से धक्का-मुक्की शुरू हो गई है. वह चाहते हैं कि हमें अपने क्लेम लाइन तक जाना है.
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीनी सेना क्लेम लाइन तक आकर फोटो खींचती है और दिखाती है कि यह हमारा इलाका है. यह चीनी सेना के काम करने का तरीका है.
चीन ने तीन साल पहले अपने कमांड सेक्टर को रि-ऑर्गनाइज किया है. पहले उनकी सात कमांड होती थी, अब वेस्टर्न थियेटर कमांड बना दिया है.
चीनी सेना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि वेस्टर्न थियेटर कमांड के जनरल चीनी राष्ट्रपति शी जिपनिंग के इलाके से हैं और उनका सेना में बहुत बड़ा नाम है.
लोगों का मानना था कि उनकी बड़ी पदोन्नति होगी. पदोन्नति के लिए जरनल ने कुछ ऐसा करके दिखाने की कोशिश की, जिससे चीन के लोगों को लगे कि यह बड़ा अच्छा जनरल है.
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि सीमा विवाद के पीछे एक आदमी की महत्वकाक्षाएं हैं. कोई भी देश युद्ध नहीं चाहता है. चाहे वह चीन हो या भारत. चीन ने देख लिया है कि 1962 वाली भारतीय सेना नहीं है, जो लोग छोड़कर भाग जाएंगे. आज नेतृत्व उस तरह का नहीं है. आज हमारे जवानों के पास सभी संसाधन है.
वीके सिंह ने कहा कि 1962 में अगर हमने एअरफोर्स का इस्तेमाल किया होता तो आज नतीजा कुछ और होता, लेकिन उस समय का राजनीति नेतृत्व कुछ और सोचता था, लेकिन आज हमारे पास जो राजनीतिक नेतृत्व है, अगर जरूरत पड़ी तो सभी तरह से विकल्प के लिए तैयार है.