पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर घाटी में हिंसा और झड़पों के दौर को देखते हुए एक अहम कदम उठाया है। दरअसल आतंकी बुरहान वानी के खात्मे के बाद बेकाबू हुए हालात को संभालने के लिए केंद्र सरकार अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुटी हुई है।
पीएम मोदी ने खुद संभाली कमान
बिगड़े हालातों को देखते हुए घाटी में एक ओर जहां बीएसएफ की तैनाती कर दी गई है, वहीं अमन और शांति की बहाली के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह आखिरी बाजी लगाने खुद श्रीनगर में हैं.
ख़बरों के मुताबिक, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को रॉयट एक्ट पढ़ने की सलाह दी है। वहीं, अपने दो दिवसीय श्रीनगर दौरे पर राजनाथ सिंह को हिदायत दी गई है कि वह महबूबा मुफ्ती, विपक्ष और समाज के तमाम पक्षों के नेताओं से मुलाकात करें। आपको बता दें कि केंद्र का मकसद जल्द से जल्द कश्मीर में शान्ति बहाल करना है।
बताया जा रहा है कि अपनी मुलाक़ात में राजनाथ सिंह केंद्र की ओर से महबूबा से कहने वाले हैं कि वह घाटी में आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों और संगठनों पर लगाम लगाए।
मोदी सरकार इस बात को लेकर चिंता में है कि हिंसा के दौर को अब तक 50 दिन हो गए हैं और समस्या बरक़रार है। इसलिए सरकार की पूरी कोशिश है कि अगस्त के अंत तक इस समस्या का समाधान कर लिया जाए।
इस मामले पर कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर वह इस पर काबू पाने में विफल रहती है तो बीजेपी खुद को गठबंधन से अलग कर लेगी। ऐसा होता है तो राज्य में एक बार फिर गवर्नर रूल लागू हो सकता है।
ख़बरों के मुताबिक़, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को केंद्र सरकार की ओर से 80 ऐसे लोगों की सूची सौंपी गयी है जो कश्मीर में हिंसा और प्रदर्शनों को बढावा देने का काम करते हैं।