भारत-पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर तनाव और कूटनीतिक जंग के बीच गुरुवार को पीएम मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कजाकिस्तान के अस्ताना में आमने-सामने हुए. SCO सम्मेलन के लिए अस्ताना गए दोनों देशों के नेता एक कार्यक्रम में जब आमने-सामने हुए तो दुआ-सलाम भी हुई. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ने नवाज शरीफ से उनके सेहत के बारे में पूछा. फिर पीएम मोदी ने शरीफ से उनकी मां और परिवार के बाकी लोगों के बारे में खबर ली. हालांकि इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में पीएम मोदी और शरीफ ने एक-दूसरे से काफी दूरी पर बैठे थे. पीएम मोदी की नवाज शरीफ से 2015 के बाद ये पहली मुलाकात थी. इससे पहले पीएम मोदी अचानक दिसंबर 2015 में नवाज शरीफ के जन्मदिन पर उनके घर लाहौर जा पहुंचे थे.

दुआ-सलाम के बीच विदेश मंत्रालय का बयान आया कि द्विपक्षीय बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं है. इससे पहले सुषमा स्वराज ने भी ऐलान किया था कि आतंकवाद के साथ-साथ बातचीत नहीं की जा सकती. मोदी-नवाज इससे पहले भी सार्क बैठक के दौरान मिल चुके हैं. मोदी के निमंत्रण पर नवाज 2014 में दिल्ली आकर शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए थे लेकिन क्या आज के हालात में दोस्ती की राह पर आगे बढ़ पाना दोनों नेताओं के लिए संभव है. इस राह में 5 बड़ी मुश्किलें हैं जिनसे पार पाना संभव नहीं दिखता.
1. कश्मीर में अलगाववाद को PAK की मदद
कश्मीर में आज हालात पहले के मुकाबले ज्यादा जटिल है. मोदी सरकार किसी भी हालत में घाटी से अलगाववाद औऱ आतंकवाद को खत्म करने का फैसला कर चुकी है. सेना को ऑपरेशन की पूरी छूट है. घाटी में अलगाववाद और पत्थरबाजी के लिए पाकिस्तान से मिल रहे पैसे पर भी शिकंजा कसने के लिए एनआईए जांच में जुटी हुई है. दूसरी ओर पाकिस्तान खुला ऐलान करता है कि कश्मीर में संघर्ष को उसका समर्थन जारी रहेगा. ऐसे में नवाज और मोदी की दोस्ती की गाड़ी आगे कैसे बढ़ेगी इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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