देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र सरकार ने यह साफ किया था कि वह इस कानून के खिलाफ विधानसभा में बिल नहीं लाएगी.
एक तरफ कांग्रेस की सरकार वाले राजस्थान और अन्य राज्यों में इस कानून के खिलाफ बिल पेश कर पारित कराए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उसके गठबंधन वाले महाराष्ट्र सरकार की ‘ना’ के बाद अब सूबे में मुस्लिमों के लिए आरक्षण की चर्चा है.
सूत्रों की मानें तो मुसलमानों के लिए नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण शिवसेना के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के एजेंडे में है. सूत्रों ने दावा किया कि उद्धव कैबिनेट की पिछली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई. बुधवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में इस पर विस्तार से चर्चा की गई कि इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
गौरतलब है कि साल 2014 से पहले जब सूबे में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, तब मराठा के लिए 16 और मुसलमानों के लिए 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान ऑर्डिनेंस लाकर किया गया था. चुनाव हुए, तब भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन की सरकार सत्ता में आ गई.
नई सरकार ने मराठा आरक्षण बरकरार रखा, लेकिन मुसलमानों के लिए आरक्षण पर कोई कदम नहीं उठाया. यह अध्यादेश लैप्स हो गया था. तब भाजपा के साथ शिवसेना सत्ता में साझीदार थी, जब मुस्लिम आरक्षण के लिए अध्यादेश लैप्स हो गया था. हालांकि इसके बाद शिवसेना ने पिछले दिनों कई बार मुस्लिम आरक्षण का राग अलापा था.
बता दें कि उद्धव सरकार में मंत्री और एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने सीएए के खिलाफ राज्यों में विधानसभा से पारित कराए जा रहे प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. मलिक ने साफ किया था कि सीएए राज्यों के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. जो राज्य इस कानून को लागू नहीं करने की बात कह रहे हैं, वह जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं.