खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग मंडल भर में लगातार छापेमारी कर रहा है। इसकी जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मुरादाबाद में 55 प्रतिशत खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल पाए गए हैं।
खाद्य पदार्थों के मिलावट के मामले में मुरादाबाद जिला मंडल में सबसे आगे पाया गया है। यहां 55 प्रतिशत खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल पाए गए हैं। मंडल में दूसरे नंबर पर रामपुर और तीसरे नंबर पर बिजनौर जिले का नाम आया है। जिले से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने दुकानों में छापा मारकर सैंपल वाराणसी स्थित लैब को भेजा था।
दिसंबर माह की रिपोर्ट जनवरी में खाद्य सुरक्षा विभाग को मिली। मुरादाबाद जिले को दिसंबर महीने की 84 सैंपल की रिपोर्ट मिली। इनमें 43 सैंपल फेल पाए गए हैं। तीन ऐसे खाद्य पदार्थों के नमूने जीवन के लिए असुरक्षित पाए गए हैं। असुरक्षित खाद्य पदार्थों को खाने से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
कुल मिलाकर मुरादाबाद जिले में 46 खाद्य पदार्थ के नमूनों में मिलावट पाई गई है। इसी प्रकार रामपुर जिले के 32 खाद्य पदार्थ, संभल जिले के 20 सैंपल, बिजनौर के 25 सैंपल और अमरोहा के 16 सैंपल फेल पाए गए हैं। सबसे अधिक असुरक्षित चार खाद्य सैंपल संभल जिले में पाए गए हैं।
दूध में सबसे अधिक मिलावट
मुरादाबाद जिले में दूध के 20 सैंपल की रिपोर्ट आई हैं। इनमें 13 सैंपल में मिलावट पाई गई है। हालांकि दूध में कोई खतरनाक पदार्थ की मिलावट नहीं की गई है जो जीवन के लिए खतरा बन सके। पांच मिल्क उत्पाद में भी मिलावट पाई गई है। इधर मसाला और दाल में कृत्रिम रंग की मिलावट पकड़ी गई है। दोनों कृत्रिम रंग जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं। ये बीमारियां पैदा कर सकते हैं।
67 लोगों पर 20 लाख का जुर्माना
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार मुरादाबाद की स्थानीय कोर्ट में पिछले माह 30 केस दायर किए गए। स्थानीय सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत से 67 मामलों में 20 लाख 40 हजार का जुर्माना लगाया गया है। इस साल मार्च से लेकर दिसंबर तक 401 केस में निर्णय हुए हैं। सभी केस में कुल मिलाकर 92 लाख 53 हजार रुपये का अर्थदंड कारोबारियों पर लगा है। फिर भी लोग मिलावटी सामान बेचने से बाज नहीं आते हैं।
मुरादाबाद जिले में सबसे अधिक जांच का दावा
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त (खाद्य) ग्रेड -2 राजवंश श्रीवास्तव ने बताया कि मंडल में सबसे अधिक दुकानों पर मुरादाबाद में छापा मारे गए हैं। सबसे अधिक सैंपल भरे गए हैं। इस कारण मिलावट के मामले अधिक पकड़े गए हैं। इस मामले में उत्पादन कर्ता के खिलाफ भी केस दर्ज कराए गए हैं। दूध में मिलावट होने के कारण सबसे अधिक सैंपल भरे गए हैं ताकि मिलावट करनेवालों पर लगाम लगाई जा सके।