कुख्यात बदमाश प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने मुख्तार अंसारी के साथ काम करने के बाद अपना अलग मुकाम बनाया था। इसके बाद वह सरकारी ठेके तथा रंगदारी में अधिक दखल देने लगा। जिसके कारण उसके दुश्मन भी बढ़ते जा रहे थे। लखनऊ में उसके साले की भी हत्या की गई थी।
उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी। मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची। 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। उसने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाडिय़ों पर एके 47 से 400 गोलियां बरसाई थी। हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे छह अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। इसके बाद हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।