मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को नए पुलिस मुख्यालय का उद्घाटन करेंगे। इस भवन को सिग्नेचर बिल्डिंग का नाम दिया गया है। यह भवन 800 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बना है।
लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय इकाना क्रिकेट स्टेडियम के सामने बने नए पुलिस भवन में पुलिस अधिकारी बैठने लगे हैं, लेकिन सोमवार की शाम को मुख्यमंत्री इसका विधिवत उद्घाटन करेंगे। भव्य सिग्नेचर बिल्डिंग के नौवें तल पर डीजीपी का दफ्तर है। डीजीपी ऑफिस से लगा गार्डन भी है जो बालकनी में बना है। यहां से पूरा गोमतीनगर विस्तार और गोमती नदी का शानदार नजारा दिखता है। पुलिस मुख्यालय का आकर्षण लोगों में खूब है।
नए पुलिस मुख्यालय में डीजीपी के साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस की 18 इकाइयों के मुख्यालय और उनके मुखिया का भी दफ्तर रहेगा। जीआरपी, टेक्निकल सर्विसेज, अग्निशमन निदेशालय, यातायात निदेशालय, लाजिस्टिक प्रशिक्षण निदेशालय, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, आर्थिक अपराध शाखा, एसआइटी, मानवाधिकार, रूल्स एंड मैनुएल्स के मुख्यालय भी इसी भवन में होंगे। 40178 वर्ग मीटर में फैले पुलिस मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं दी गई हैं।
यहां पार्किंग के लिए दो हजार से अधिक वाहनों की भी व्यवस्था की गई है। लखनऊ में उप्र के जिस अत्याधुनिक पुलिस मुख्यालय का शिलान्यास सपा काल में हमने किया था, अब उसका उद्घाटन होने जा रहा है. इसके पीछे क़ानून-व्यवस्था को सक्षम बनाने का विचार रहा है. वर्तमान में उप्र जिस आपराधिक-अराजकता के दौर से गुज़र रहा है, आशा है ये भवन उसे सुधारने में सहायक होगा.

अखिलेश यादव के ट्वीट पर पलटवार
सीएम योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कानून-व्यवस्था पर की गई टिप्पणी पर पलटवार करते हुए ट्वीट कर कहा कि ‘प्रदेश को अपराधिक अराजकता का पर्याय बना देने वाले जब ऐसी बात करते हैं तो हंसी आती है।
आधे अधूरे काम का श्रेय लेने की होड़ में सचाई को मत भूलिए। आज अपराधी पुलिस के भय से सरेंडर कर रहे हैं, बेल तोड़वा कर जेल जा रहे हैं। उसकी तुलना में अपने शासन को देखिए कि कैसे गुंडे थाने चलाते थे।’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘प्रदेश में वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में गम्भीर अपराधों जैसे डकैती, बलात्कार, हत्या, अपहरण एवं लूट के अपराधों में कमी आयी है। डकैती में 42.63 प्रतिशत, बलात्कार में 7.63 प्रतिशत, हत्या में 7.08 प्रतिशत, लूट में 22.1 प्रतिशत, फिरौती हेतु अपहरण में 30.43 प्रतिशत की कमी आयी है।’
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