दिल्ली: एमसीडी के 12 वार्डों के उपचुनाव में भाजपा को मुंडका वार्ड में मिली हार और आप के बाजी मारने के पीछे सबसे बड़ा कारण यूईआर-2 पर बनाए गए टोल प्लाजा का मुद्दा माना जा रहा है। टोल लगाने के बाद से ही ग्रामीणों में गहरा विरोध था। स्थानीय लोग कई बार सड़क पर उतरे, टोल प्लाजा पर पंचायत की, प्रदर्शन किए और चक्का जाम किया। ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा से भी मिला, लेकिन उनकी मांग पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसी अनदेखी का असर उपचुनाव के नतीजों में साफ दिखाई दिया।
केंद्र सरकार ने यूईआर-2 पर मुंडका वार्ड के मध्य टोल प्लाजा बना है। ग्रामीणों ने कहा कि टोल लगने के बाद उनकी रोजमर्रा की आवाजाही प्रभावित हुई। कई गांवों के लोग कामकाज, व्यापार, खेती-किसानी से जुड़े कार्यों के लिए लगातार इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उन्हें राहत देने के बजाय उनकी मांगों को टाल दिया गया। जब भाजपा नेतृत्व को नाराजगी का अंदाजा हुआ, तब अनौपचारिक रूप से 60 गांव को टोल छूट देने की घोषणा दी गई।
लेकिन इस कोशिश ने समस्या हल करने के बजाय नए असंतोष को जन्म दे दिया, क्योंकि टोल के पास बसी कॉलोनियों के हजारों लोग छूट की घोषणा से बाहर रह गए। इन कॉलोनियों के निवासियों ने खुले तौर पर चेतावनी दी थी कि यदि 29 नवंबर तक उन्हें भी टोल से छूट नहीं दी गई, तो वे 30 नवंबर को भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे। चेतावनी के बावजूद भाजपा नेतृत्व ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि उपचुनाव में मुंडका वार्ड में भाजपा मात्र डेढ़ हजार वोटों से हार गई।
छूट के एलान से भी नहीं शांत हुआ गुस्सा
60 गांव का अनौपचारिक छूट ऐलान भी ग्रामीणों के गुस्से को शांत नहीं कर पाया। कई गांवों के लोगों ने भी भाजपा को वोट नहीं दिया। ग्रामीणों ने कहा कि छूट की घोषणा चुनावी जुगाड़ की तरह लगी, जबकि वे इस मुद्दे को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे थे। दूसरी ओर कॉलोनियों में रहने वाले लोग खुद को दोयम दर्जे का मानते हुए नाराज हो गए।
लिहाजा मुंडका की हार भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि जमीन से जुड़े मुद्दों और स्थानीय नाराजगी को समय रहते समझना और समाधान करना बेहद जरूरी है। टोल प्लाजा का विवाद, बार-बार का विरोध और फिर कॉलोनियों की अनदेखी इन सभी वजहों ने मिलकर भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी की।
उपचुनाव में तीनों प्रमुख दलों के कई उम्मीदवारों की जमानत जब्त
एमसीडी के 12 वार्डों के उपचुनाव में जहां भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने 11 वार्डों में जीत दर्ज की, वहीं उनके कई उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा। खास बात यह है कि तीनों प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की कई वार्डों में जमानत जब्त हो गई।
नौ वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। मुंडका, शालीमार बाग बी, अशोक विहार, चांदनी चौक, द्वारका बी, दिचाऊं कलां, दक्षिणपुरी, ग्रेटर कैलाश और विनोद नगर वार्ड में कांग्रेस प्रत्याशी इतने कम वोट पाए कि जमानत बचा पाना संभव नहीं हुआ। दिचाऊं कलां में तो कांग्रेस उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहे, जो पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
यहां भाजपा उम्मीदवार की भी जमानत जब्त हो गई। यह वार्ड पुराने दिल्ली क्षेत्र का एक ऐसा इलाका है, जहां भाजपा लगातार कमजोर प्रदर्शन करती आई है। आम आदमी पार्टी भी इससे अछूती नहीं रही।
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