मालदीव ने कहा है कि भारत भाई है, लेकिन चीन बरसों बाद मिला बिछड़ा चचेरा भाई है और वह भारत की चिंताओं के बावजूद चीनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाएगा. चीन में मालदीव के राजदूत मोहम्मद फैसल ने हांगकांग आधारित अखबार‘ साऊथ चाइना मार्निंग पोस्ट’ से कहा कि उनका देश चीनी निवेश को और भी गले लगाएगा, लेकिन चीन और भारत के बीच टकराव में फंसने के खतरे की उसे जानकारी है. फैसल ने गुरुवार (22 मार्च) को कहा, ‘‘चीन बरसों पहले बिछड़ा चचेरा भाई है जिसे हमने पाया है, बरसों पहले बिछड़ा चचेरा भाई जो हमारी मदद करने का इच्छुक है.’’ उन्होंने 45 दिन बाद मालदीव से आपातकाल हटाने के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कदम के बाद यह बात कही.
फैसल ने कहा, ‘‘भारत एक भाई है. हम एक परिवार हैं, हम झगड़ सकते हैं और हमारे बीच विवाद हो सकते हैं, लेकिन आखिर में हम बैठेंगे और इसे हल करेंगे.’’ उन्होंने दावा किया कि मालदीव वित्तपोषण के लिए कई परियोजनाएं भारत के पास ले गया, ‘‘लेकिन हमें आवश्यक वित्त नहीं मिला.’’ चीन मालदीव को हिंद महासागर में समुद्री रेशम मार्ग का एक प्रमुख भागीदार मानता है और उसने वहां भारी निवेश किया. चीन ने मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का पुरजोर समर्थन किया और अंतरराष्ट्रीय दबाव पर ढाल बना. इसने उन्हें मौजूदा संकट के काल में सत्ता में बने रहने में सक्षम बनाया.
फैसल ने कहा कि मालदीव अपनी सरजमीन पर विदेशी सैन्य प्रतिष्ठानों की स्थापना की इजाजत नहीं देगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने इसे बिल्कुल साफ कर दिया कि हम मालदीव में किसी भी तरह के सैन्य प्रतिष्ठानों या सैन्य उपक्रमों की इजाजत नहीं देने जा रहे हैं. चीन को भी नहीं, ना ही किसी अन्य देश को.
मालदीव पर जो विदेशी कर्ज है उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा चीन का है. फैसल का कहना है कि मालदीव को इसकी अदायगी में कोई दिक्कत नहीं हो रही है. उनके देश ने रियाअती दर पर कुछ कर्ज लिया है क्योंकि उसका पर्यटन बाजार बढ़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘अभी सिर्फ सात द्वीप हैं जिनमें चीन ने पर्यटन क्षेत्र में निवेश किया है. मेरी समझ से चीन जैसे क्षमतावान देश के लिए यह बहुत कम है. यह ज्यादा होना चाहिए.’’