नजाकत और नफासत के शहर-ए-लखनऊ की तहजीब की झलक भी महोत्सव की थीम में नजर आती है। विकास की चकाचौंध और सांस्कृतिक विरासत को अपने आंचल में समेट में प्रदेश सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार होने के साथ ही उसकी थीम में ऐतिहासिक विरासत का समावेश दर्शकों को अपनी ओर खींचता है। 25 नवंबर से पांच दिसंबर तक आशियाना के स्मृति उपवन सांस्कृतिक स्थल पर चलने वाले में इस बार की थीम में भी प्रदेश सरकार के प्रदेश में विकास की झलक दिखेगी।
एकता और भाईचारे की चाशनी में लिपटी लखनवी तहजीब का नजारा आम होता है। हुक्का पीते नवाब और पतंग उठाते लोगों को पुतलों के माध्यम से दिखाने की परंपरा बड़ी पुरानी है। मथुरा के कलाकारों की ओर से नगाड़े पर ब्रज की होली का प्रदर्शन जहां दर्शकों को अपनी ओर खींचता है तो उनके साथ सेल्फी लेने की उत्सुकता युवाओं में साफ नजर आती है।
कम शब्दों में सबकुछ बयां करने के लिए हर वर्ष महोत्सव की थीम में बदलाव भी होता रहा है। पिछले एक दशक के स्लोगन पर गौर करें तो हर वर्ष उसमे विकास के साथ ही ऐतिहासिक विरासत की झलक दिखती है। के आयोजन में सरकार के बदलने के साथ ही विकास के मायने भी बदल गए, लेकिन नई बदली तो ऐतिहासिक विरासत और नवाबी काल की तहजीब के साथ इस बार ‘अटल संस्कृति, अटल विरासत’ की थीम रखी गई है। अधिकारियों का तर्क है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नई कार्य संस्कृति को थीम के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। महोत्सव के सचिव आरपी यादव ने बताया कि महोत्सव समिति थीम का निर्धारण करती है। इस बार की थीम का निर्धारण समिति ने किया है।
यूं बदली महोत्सव की थीम