महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने सरकारी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के बैंक खाते से 21.59 करोड़ रुपये निकाल लिए। मामले में पुलिस ने आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपी फरार है। वहीं आरोपी ने पुलिस को एक पत्र भेजकर धन की हेराफेरी में अंदरूनी सांठगांठ का आरोप लगाया।
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने सरकारी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के बैंक खाते से 21.59 करोड़ रुपये निकाल लिए। आरोपी ने 11 महीने में धीरे-धीरे करके खाते से रकम निकाली। मामले में पुलिस ने आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपी फरार है। वहीं आरोपी ने पुलिस को एक पत्र भेजकर धन की हेराफेरी में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स समिति के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया है।
पुलिस ने बताया कि सरकारी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स कार्यालय में संविदा पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर हर्षकुमार क्षीरसागर पर आरोप है कि उसने स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के बैंक खाते से 11 महीने में 21.59 करोड़ रुपये निकाले। पुलिस ने बताया कि आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर ने बैंक में पंजीकृत स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स समिति के खाते का ई-मेल एड्रेस बदलवाया। उसने समिति के बैंक खाते को दूसरे ई-मेल एड्रेस से जोड़ दिया। इसके बाद आरोपी की ओर से दिए गए ई-मेल एड्रेस पर स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स समिति के खाते का विवरण आने लगा। इसके बाद आरोपी ने स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के बैंक खाते से 21.59 करोड़ रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दिए और फिर पैसे निकाल लिए।
स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के एक अधिकारी की शिकायत के आधार पर जवाहरनगर पुलिस ने 22 दिसंबर को क्षीरसागर और दो अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद आरोपी फरार हो गया। मामले में पुलिस ने आरोपी की महिला मित्र को गिरफ्तार किया और पूछताछ शुरू कर दी।
इधर पुलिस आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही थी कि उसे 26 दिसंबर को डाक के जरिये एक पत्र मिला। यह पत्र आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर ने भेजा था। इसमें उसने आरोप लगाया कि संस्थान के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उस पर बैंक खाते से धन की हेराफेरी के लिए दबाव डाला। जवाहरनगर पुलिस थाना प्रभारी को भेजे गए सात पन्नों के पत्र में आरोपी ने दावा किया कि स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने उसे बंदूक दिखाकर धमकाया। अधिकारी ने सरकारी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के बैंक खाते का नंबर बदलवाने के लिए पत्र दिया था।
आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ अधिकारी ने बैंक खाते से धनराशि निकालने के बाद उससे खरीदी जाने वाली संपत्तियों का चयन किया। इसमें 1.35 करोड़ रुपये में खरीदी गई कार भी शामिल है। आरोपी ने पत्र में यह भी दावा किया कि जब उसने फंड ट्रांसफर और निकासी से इनकार किया तो उसे मानसिक रूप से परेशान किया गया।
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