मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद अटकलें तेज हो गईं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज ठाकरे राजग खेमे में जाना चाहते हैं। भाजपा मुख्यतौर पर बाला साहेब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना में टूट के बाद ठाकरे परिवार के सदस्यों के बीच एक राजनीतिक द्वंद्व उत्पन्न करने की रणनीति बना रही है। महायुति में सत्तारूढ़ भाजपा शिवसेना और अराकांपा शामिल हैं।
चुनावी महासमर में नेताओं के पाला बदलने और एक गठबंधन से दूसरे गठबंधन में शिफ्ट होने की दास्तां बहुत पुरानी है और पिछले कुछ वक्त से ऐसा दिखाई भी दे रहा है। जोड़-तोड़ कर जीत की संभावनाओं को खंगालते हुए फूंक-फूंककर कदम रखने वाली भाजपा और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का मन एक-दूसरे के प्रति मिल सकता है।
इस बीच, मंगलवार को मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद अटकलें तेज हो गईं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज ठाकरे ‘राजग’ खेमे में जाना चाहते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा मुख्य तौर पर बाला साहेब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना में टूट के बाद ठाकरे परिवार के सदस्यों के बीच एक राजनीतिक द्वंद्व उत्पन्न करने की रणनीति बना रही है। ‘महायुति’ में सत्तारूढ़ भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुआई वाली राकांपा शामिल हैं।
ठाकरे बनाम ठाकरे
अगर राज ठाकरे भाजपा नीत ‘महायुति’ में शामिल हो जाते हैं, तो मनसे मुंबई की एक सीट से चुनाव लड़ सकती है, जहां उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना वोटर्स को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में चचेरे भाईयों के बीच दिलचस्प चुनावी लड़ाई देखने को मिल सकती है। मनसे ने 2009 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए13 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, पार्टी को अब तक एक भी संसदीय सीट पर जीत नसीब नहीं सकी है।
पवार बनाम पवार
राज ठाकरे की बात बन गई तो ठाकरे बनाम ठाकरे के बीच जबरदस्त मुकाबला होने की संभावना है, लेकिन एक परिवार और भी है, जहां पर भाभी बनाम ननद की लड़ाई देखने को मिल सकती है। भतीजे अजित पवार राकांपा को लेकर चाचा से लड़ाई तो जीत गए, लेकिन वह इतने में ही नहीं रुकने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अजित पवार बारामती से बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा को मैदान में उतार सकते हैं। अजित पवार ने पिछले साल चाचा शरद पवार द्वारा गठित पार्टी से विद्रोह कर सरकार को अपना समर्थन दिया था और बाद में पार्टी पर भी कब्जा स्थापित कर लिया।
अजित पवार को लगा झटका
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को झटका देते हुए शरद पवार की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करने को कहा। इसके अलावा कोर्ट ने अजित पवार को ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी, जबकि शरद पवार की पार्टी ‘राकांपा-शरदचंद्र पवार’ लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं और कोर्ट ने ‘ट्रम्पेट’ चुनाह चिह्न को अपनी मान्यता दे दी, जो शरद पवार की पार्टी का चुनाव चिह्न है।