महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं. राज्यपाल कोश्यारी को रिलायंस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. भगत सिंह कोश्यारी ऐसे वक्त कोरोना वायरस से संक्रमित हुए जब राज्य की ठाकरे सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
शिवसेना विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे के बागी होने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में सामना करना पड़ा सकता है. बता दें कि फ्लोर टेस्ट कराने की मंजूरी राज्यपाल देता है.
राज्यपाल को लगे कि उद्धव ठाकरे की सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया तो ऐसे में वो बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं. लेकिन राज्यपाल कोश्यारी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं, ऐसे में ये जिम्मेदारी कौन संभालेगा तो इसके लिए किसी अन्य राज्य के राज्यपाल को ये अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
क्या होता फ्लोर टेस्ट है?
फ्लोर टेस्ट, मुख्य रूप से यह जानने के लिए किया जाता है कि क्या वाकई में सरकार को सदन में बहुमत प्राप्त है. यह एक संवैधानिक व्यवस्था है, जिसके तहत राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जा चुके एक मुख्यमंत्री को, राज्य की विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करने के लिए कहा जाता है.
बहुमत का दावा करने वाले पार्टी/गठबंधन के नेता को विश्वास मत हासिल करना होता है और विधानसभा में उपस्थित और मतदान करने वालों के बीच अपना बहुमत साबित करना होता है. सदन में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है.
शिंदे कर सकते हैं फ्लोर टेस्ट कराने की मांग
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे आज यानी बुधवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक लेटर फैक्स कर सकते हैं. इस पत्र के जरिए वे तकरीबन 40 विधायकों का महाविकास आघाडी सरकार को समर्थन ना होने का दावा पेश कर सकते हैं. इस चिट्ठी के आधार पर राज्यपाल बाद में फ्लोर टेस्ट पर फैसला लेंगे, जहां उद्धव सरकार को अपना बहुमत साबित करना पड़ सकता है.