महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने फिर टाल दी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बीच दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई अब 14 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा कि मामले को सात जजों वाली संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाए या नहीं । बता दें कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों के ही गुटों के बीच शिवसेना पार्टी के निशान को लेकर विवाद है। दोनों का ही दावा है कि उनका ही गुट असली शिवसेना है। दोनों का कहना है कि उन्हें धनुष-बाण का निशान दिया जाना चाहिए। हालांकि निशान को लेकर फैसला करने का काम सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ही करने को कहा था। मुंबई में हुए उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को अलग पार्टी नाम दे दिया था। इसके अलावा उन्हें वैकल्पिक चुनाव निशान भी दिए गए थे।
अभी मामला सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़. जस्टिस एम शाह, जस्टिस कृष्णमुरारी, जस्टिस हिमा कोहली औऱ जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ के पास है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया था कि अगर डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जारी किया गया था तो जब तक इस पर फैसला नहीं होता वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ऐसा ही फैसला अरुणाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नबीम रेबिया के मामले में भी सुनाया था। ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मांग की कि पिछली सुनवाई के दौरान सात सदस्यीय संविधान पीठ इस मुद्दे पर फिर से विचार करे। इसलिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ से यह मांग की गई थी कि सात सदस्यीय संविधान पीठ को मामला सौंप दिया जाए।
अगर यह मामला सात सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष जाता है तो इसके फैसले में देरी होने की संभावना है। तब तक पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष अन्य मुद्दों पर सुनवाई जारी रखनी है या नहीं इस बात पर भी फैसला होना है। इसके अलावा सरकार पर विश्वास मत मान्य है या नहीं, शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर कोर्ट फैसला करेगा।