इस प्रसंग में युधिष्ठिर ने स्त्री जाति को श्राप दिया था कि स्त्रियां कभी कोई बात किसी से छिपा कर नहीं रख सकेंगी। आज हम आपकी उस प्रसंग के बारे में बता रहे हैं। आपने कई बार लोगों को ऐसा कहते हुए सुना होगा कि महिलाओं को कभी कोई राज़ की बात नहीं बताना चाहिए, क्योंकि उनके पेट में कोई बात नहीं टिकती। इसका कारण चाहे कुछ भी हो, लेकिन महाभारत में इससे जुड़ा एक प्रसंग जरूर मिलता है।
प्रसंग
युधिष्ठिर का स्त्री जाति को श्राप
महाभारत के शांति पर्व के अनुसार, युद्ध समाप्त होने के बाद जब कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण तुम्हारा बड़ा भाई था तो पांडवों को बहुत दुख हुआ।
तब युधिष्ठिर ने विधि-विधान पूर्वक कर्ण का भी अंतिम संस्कार किया। माता कुंती ने जब पांडवों को कर्ण के जन्म का रहस्य बताया।
इस बारे में जानकर सभी को बहुत दुख हुआ और गुस्से आकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को श्राप दिया कि- आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेगी।
ऐसा माना जाता है कि तभी से औरतों को यदि कोई बात बताई जाए तो वो ज्यादा समय तक गुप्त नहीं रह सकती वह उसे किसी ना किसी को बता ही देती हैं।
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ऋषि किंदम का राजा पांडु को श्राप
महाभारत के अनुसार, एक बार राजा पांडु शिकार खेलने वन में गए। उन्होंने वहां हिरण के जोड़े को मैथुन करते देखा और उन पर बाण चला दिया।
वास्तव में वो हिरण व हिरणी ऋषि किंदम व उनकी पत्नी थी। तब ऋषि किंदम ने राजा पांडु को श्राप दिया कि जब भी आप किसी स्त्री से मिलन करेंगे।
उसी समय आपकी मृत्यु हो जाएगी। इसी श्राप के चलते जब राजा पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ मिलन कर रहे थे, उसी समय उनकी मृत्यु हो गई।